Kahani in hindi-दोस्तों नमस्कार हम सभी के घर में छोटे बच्चे जरूर होते हैं और उन्हें जब भी कोई बात समझा नहीं होती है, कहानियों के माध्यम से समझा सकते हैं, Hindi moral stories के माध्यम से बच्चों को जीवन के बड़े-बड़े कठिनाइयों को समझाया जा सकता है. दोस्तों हमने Hindi moral stories को खासकर बच्चों और बड़ों को ध्यान में रखकर लिखा है जिसे पढ़ना और समझना बहुत ही आसान है.
दोस्तों अगर आपको भी कहानियां सुनना या सुनाना बहुत अच्छा लगता है. तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं इस आर्टिकल में हमने short moral story in Hindi कहानियां है. दोस्तों मैं आशा करता हूं आपको यह कहानियां पसंद आएंगे.
संगत का असर की कहानी (Effect of accompaniment Story hindi)
बहुत समय पहले की बात है। एक दूर देश का राजा जंगल में शिकार करने निकला। वह कुछ सैनिकों के साथ था, लेकिन शिकार का पीछा करते-करते वह अकेले बहुत दूर निकल आया। घने जंगल में राजा भटक गया। एक पेड़ के नीचे पहुँचते ही उसे एक आवाज सुनाई दी, “राजा आया, राजा आया। लूटो-लूटो, जल्दी लूटो।” उसने ऊपर देखा, तो पेड़ पर बैठा तोता डाकुओं को बुला रहा था । कोई डाकू वहाँ आता, इससे पहले ही राजा वहाँ से भाग निकला। वह एक कुटिया के पास पहुँचा | कुटिया के दरवाजे पर उसे एक और आवाज सुनाई दी, “आइए महाराज, हमारी कुटिया में आपका स्वागत है ।” वह आवाज एक तोते की थी।
राजा कुटिया में गया। (Kahani in hindi)कुटिया में बैठे साधु को उसने प्रणाम किया। उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि एक ही जाति के दो पक्षियों में इतना अंतर कैसे हो सकता है? उसने साधु से यह बात पूछी। साधु ने राजा को बताया, “कुछ समय पहले इसी जंगल में तोतों का एक जोड़ा रहता था। उनके दो बच्चे थे। एक दिन जोरदार तूफान आया। उस तूफान में उस जोड़े की मृत्यु हो गई। उनके दोनों बच्चों में से एक जंगल में रहनेवाले डाकुओं के पास और दूसरा इस आश्रम में पहुँच गया। डाकुओं ने उस तोते को अपनी तरह बना दिया । वह अब चोरी डकैती में उनका साथ देता है। दूसरा तोता जो कुटिया में आया था। उसने ही आपका स्वागत किया।” राजा समझ गया कि यह सब संगत का असर है।
सीख (Moral Of the Story )• हमेशा अच्छी संगत करनी चाहिए।
ब्राह्मण और नेवला की कहानी(Brahmin and mongoose Moral story hindi)
किसी नगर में एक ब्राह्मण अपनी माता के साथ रहता था। एक दिन वह गाँव में पूजा-पाठ कराने गया था। लौटते समय उसे रास्ते में एक घायल नेवला मिला। ब्राह्मण को उस पर दया आ गई। वह नेवले को लेकर अपने घर आया। वह उसकी देखभाल करने लगा। कुछ ही दिनों में नेवला ठीक हो गया और वह ब्राह्मण के घर ही रहने लगा।
एक दिन ब्राह्मण को दूर के गाँव से निमंत्रण मिला। उसने माँ से जाने की आज्ञा माँगी। माँ ने कहा, “बेटा, तू कभी अकेले गाँव से बाहर नहीं गया है। यदि आवश्यकता नहीं हो तो मत जा ।” ब्राह्मण ने कहा, “माँ, चिंता मत करो।” बेटे की बात सुनकर माँ ने कहा, “ठीक है, यदि तू जाना ही चाहता है, तो फिर इस नेवले को भी अपने साथ लेकर जा। यात्रा में हमेशा एक से भले दो होते हैं । “
ब्राह्मण अगले दिन नेवले के साथ घर से निकला ।(Kahani in hindi) कुछ दूर चलने के बाद, वह एक पेड़ की छाँव में बैठकर आराम करने लगा। बैठे-बैठे उसे नींद आ गई। पेड़ के नीचे एक काला साँप रहता था। मौका देखकर साँप अपनी बिल से बाहर आया। वह ब्राह्मण को काटने के लिए जैसे ही आगे बढ़ा, नेवला उसके सामने आ गया। नेवले ने साँप को मार दिया। जब ब्राह्मण की नींद खुली तो उसने मरे हुए साँप को देखा। वह समझ गया कि उसकी माँ की सलाह और नेवले के कारण ही उसकी जान बची। वह नेवले को अपनी गोद में उठाकर वहाँ से चल पड़ा।
सीख (Moral Of the Story )• माता-पिता की आज्ञा माननेवाला हमेशा सुखी रहता है।
शरारती चूहा की कहानी(naughty rat story in hindi)
कांजीनगर के एक मंदिर में बूढ़ा साधु रहता था। वही एक चूहा भी रहता था। साधु उससे बहुत वह साधु की रखी हुई खाने-पीने की चीजों को उठा ले जाता था। चूहे से बचने के सारे प्रयास असफल होने के बाद एक दिन साधु चिंता में डूबा था। उसी समय एक बनिया मंदिर में आया। उसने पुजारी से चिंता का कारण पूछा। साधु ने उसे चूहे के बारे में बताया। बनिया बोला, “महात्मा, उस चूहे में बहुत आत्मविश्वास है। यही कारण है कि आपके सारे प्रयास असफल हो गए।” साधु ने पूछा, “उसके आत्मविश्वास को कैसे खत्म करें?” बनिये ने कहा, “मुझे लगता है कि उसके पास अन्न का भंडार है। उसे विश्वास होगा कि यदि उसे भोजन नहीं मिला, तो वह भूखा नहीं रहेगा। यही सोच उसके आत्मविश्वास और शक्ति का कारण है। अतः हमें पहले उसके भंडार का पता लगाकर उसे खत्म करना होगा।”
) साधु और बनिया की मेहनत से चूहे की बिल का पता चल गया। उसमे सचमुच बहुत अनाज था। साधु ने सारा अनाज साफ कर दिया। चूहा जब घर लौटा तो अनाज गायब देखकर वह बहुत दुखी हुआ। दुखी मन से वह अगले दिन भोजन की तलाश में निकला। उस दिन चूहे को यह डर सता रहा था कि यदि उसे कुछ नहीं मिला, तो वह भूखा रह जाएगा। इसी चिंता में उसका आत्मविश्वास खत्म हो गया। निराश चूहा न ऊँची छलाँग लगा पा रहा था और ना ही तेज दौड़ पा रहा था। धीरे-धीरे इसी निराशा और दुख में कई दिन बीत गए। एक दिन वह मंदिर छोडकर चला गया।
सीख (Moral Of the Story )• आत्मविश्वास खत्म होने पर सबकुछ खत्म हो जाता है। • निराशा असफलता को जन्म देती है।
सोच का असर की कहानी(story of thinking Moral Story in hindi)
एक मुर्गी ने तीन अंडे दिए थे। एक दिन वह अंडों के पास बैठी थी। उसी समय बाज का एक अंडा लुढ़कता हुआ उसके पास आया। मुर्गी ने आस-पास देखा, लेकिन वहाँ कोई पक्षी नहीं था। मुर्गी चारों अंडों की देखभाल करने लगी। समय आने पर चारो अंडो में से बच्चे निकले।
समय के साथ बच्चे थोड़े बड़े हो गए। एक दिन चारों आपस में खेल रहे थे। बाज के बच्चे को आसमान में कुछ बाज उड़ते हुए दिखाई दिए। उसने कहा, “भाइयो, ऊपर कुछ पक्षी उड़ रहे है। हमें भी उड़ना चाहिए।” एक चूजे ने जवाब दिया, “मूर्ख, हम चूजे हैं और चूजे उड़ नहीं सकते हैं।” एक अन्य चूजे ने पंख फड़फड़ाते हुए उड़ने की कोशिश की, लेकिन वह उड़ नहीं सका। इसे देखकर सभी हँसने लगे। बाज को अपने भाइयों की बात सच लगी। इसके बाद उसने उड़ने की कोशिश कभी नहीं की।
( काफी समय बीत गया। एक दिन बाज का बच्चा अकेले घूम रहा था।(Kahani in hindi) उसी समय एक बाज उड़ता हुआ उसके पास आया। उसने कहा, “तुम यहाँ मुर्गियों के साथ क्या कर रहे हो? तुम एक बाज हो। तुम्हें हमारे साथ उड़ना चाहिए।” उसने कहा, “मैं एक चूजा हूँ। मैं उड़ नहीं सकता।” बाज ने कहा, “तुम चूजे नहीं हो। तुम अपने पंख फैलाकर उड़ सकते हो।” बाज के बच्चे ने पहली बार अपने पंख खोले और सरलता से उड़ने लगा। उस दिन उसकी समझ में आया कि वह आज तक अपनी सोच के कारण नही उड़ पा रहा था।
राजा का न्याय की कहानी(story of king’s justice hindi)
जंगल मे भटकते हुए एक बैल को सुंदर मोतियों की माला मिली। बैल ने माला पहन ली और वह जंगल में टहलने लगा। एक साँड़ ने जब बैल के गले मे वह माला देखी, तो उसके मन में लालच आ गई। वह बैल के पास गया। उसने बैल से कहा, “यह माला मुझे दे दो।” बैल ने कहा, “यह मेरी माला है। मैं इसे नहीं दूंगा।” बैल का जवाब सुनकर साँड़ गुस्सा हो गया। उसने बैल को मारकर वह माला छीन ली।
बैल रोते हुए जंगल के राजा शेर के पास पहुँचा | शेर ने बैल की शिकायत सुनी। वह बैल को उसकी माला वापस दिलाने के बारे में सोचने लगा। उसे एक युक्ति सूझी। उसने तुरंत साँड़ को बुलाया। साँड़ के पहुँचते ही शेर ने कहा, “मेरे पास एक मोतियों की माला थी । वह किसी ने चुरा ली है। मैं उस चोर की खोज कर रहा हूँ।” साँड़ डर गया। उसने बैल की तरफ इशारा करते हुए कहा, “महाराज, यह बैल ही वह चोर है, जिसने आपकी माला चुराई थी। मैंने तो यह माला उससे छीनी थी।” यह कहते हुए साँड़ ने माला शेर को दे दी और वहाँ से चला गया। शेर ने वह माला बैल को वापस कर दी। अपनी माला पाकर बैल बहुत खुश हुआ। उसने शेर का धन्यवाद किया और वहाँ से चला गया।
सीख (Moral Of the Story )• लालच बुरी बला है। • प्रजा की रक्षा करनेवाला ही सच्चा शासक होता है।
साधु और बिल्ली की कहानी(the story of the monk and the cat Hindi)
एक साधु अपने घर के चूहों से बहुत परेशान था। चूहे कभी उसके बिस्तर को नोच डालते, तो कभी खाने की चीजें गायब कर देते। चूहों के कारण साधु के घर में कोई भी सामान सुरक्षित नहीं था। एक दिन वह भिक्षा लेकर अपने घर लौट रहा था। रास्ते में उसे एक घायल बिल्ली मिली। साधु को बिल्ली पर दया आ गई। वह बिल्ली को अपने घर लाया और उसकी देखभाल करने लगा। जल्द ही बिल्ली बिलकुल ठीक हो गई। वह साधु के घर पर ही रहने लगी। साधु और बिल्ली दोनों अच्छे मित्र बन गए।
प्रतिदिन की तरह साधु एक सुबह उठा। नहा-धोकर उसने भगवान की पूजा की और फिर कपड़े पहनने चला गया। कपड़े अपने स्थान से गायब थे | उसने ढूँढ़ा तो कपड़े दरवाजे के पीछे मिले। (Kahani in hindi)कपड़ा उठाकर साधु ने देखा, तो वह बहुत दुखी हुआ। चूहों ने उसके कपड़े को कई जगहों से काट दिया था। साधु को दुखी देखकर बिल्ली ने चूहो को सबक सिखाने का निश्चय किया। उस दिन से बिल्ली घर की रखवाली में जुट गई। जब भी चूहे अपनी बिल से बाहर निकलते, बिल्ली उनको पकड़ लेती। कुछ दिनों में सारे चूहे खत्म हो गए। जो चूहे बिल्ली से बच गए थे, वे घर छोड़कर भाग गए। बिल्ली के कारण साधु की परेशानी हमेशा के लिए खत्म हो गई।
सीख (Moral Of the Story )● दूसरों की मदद करने का परिणाम हमेशा अच्छा होता है। आवश्यकता पड़ने पर मित्र की मदद करनी चाहिए।
ढोंगी बगुला की कहानी(the story of the hypocrite heron)
किसी जंगल में एक चालाक बगुला रहता था । वह हमेशा आसानी से भोजन प्राप्त करना चाहता था। अतः उसने एक योजना बनाई। एक दिन वह तालाब के किनारे ध्यान लगाकर बैठ गया। एक दिन बीता, फिर दूसरा दिन भी बीत गया। तीसरे दिन वह जोर-जोर से रोने लगा। एक मेंढक ने उससे पूछा, “बगुला भाई, आप रो क्यों रहे है?” बगुले ने कहा, “मुझे ईश्वर के दर्शन हुए हैं। उन्होंने मुझे बताया कि जल्द ही यह तालाब सूख जाएगा और इसमे रहने वाले सभी जीव मर जाएँगे।” मेंढक ने सभी जीवों को यह बात बताई। सभी जीव बगुले के पास पहुँचे। उन्होंने बगुले से बचने का उपाय पूछा। बगुले ने कहा, “पहाड़ी के उस तरफ एक तालाब है। हमें वहाँ जाना होगा।” केकड़े ने कहा, “हम वहाँ कैसे पहुँचेगे?” बगुले ने कहा, “मै प्रतिदिन तुम सभी में से किसी एक को अपनी पीठ पर बिठाकर वहाँ पहुँचा दूंगा।”
बगुला हर रोज एक प्राणी को नए तालाब में ले जाने लगा। एक दिन केकड़े की बारी आई। बगुला उसे लेकर पहाड़ी पर पहुँचा। केकड़े ने कहा, “भाई, हमारा तालाब कहाँ है?” बगुला हँसकर बोला, “यहाँ कोई तालाब नहीं है। मै प्रतिदिन एक जीव को यहाँ लाकर खाता हूँ।” यह सुनकर केकड़ा डर गया। जैसे ही बगुला उसे खाने के लिए आगे बढ़ा, केकड़े ने मजबूती से उसकी गरदन पकड़ ली । वह बोला, “मुझे तुरंत जंगल के तालाब में ले चलो।” केकड़े को लेकर बगुला वापस तालाब के किनारे पहुँचा। केकड़े ने उसकी गरदन इतनी जोर से दबाई कि उसकी मौत हो गई। केकड़े ने सभी जीवों को बगुले की सच्चाई बता दी ।
सीख (Moral Of the Story )=कीसी पर आँख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। ल से हमेशा सावधान रहना चाहिए।
जंगल में शिकारी की कहानी(Moral story of hunter in jungle)
एक दिन जंगल के कुछ जानवर एकसाथ टहल रहे थे। अचानक उन्हें एक जूता दिखाई दिया। उन्होंने कभी जूता नहीं देखा था, इसलिए सभी सोच में पड़ गए। बंदर ने कहा, “जरूर यह किसी फल का छिलका है।” भालू ने कहा, “नहीं-नहीं, यह तो किसी पौधे की जड़ है।” भेडिए ने कहा, “यह तो किसी पंछी का घोसला लगता है। ” इसी तरह सारे जानवर अंदाजा लगाने लगे।
( एक चिड़िया पेड़ की ऊँची डाली पर बैठी सबकुछ देख सुन रही थी। उसने कहा, “तुम सभी गलत कह रहे हो। मैं पूरी दुनिया घूम चुकी हूँ। मैं जानती हूँ कि यह क्या है?” सभी जानवरों ने एकसाथ पूछा, “बताओ, यह क्या है?” चिड़िया बोली, “यह इंसान का जूता है और इसका मतलब है कि इंसान हमारे जंगल में पहुँच चुका है। वे हमें नुकसान पहुँचा सकते हैं।” चिड़िया की बात सुनकर सभी हँसने लगे। भेड़िया बोला, “तुम मूर्ख हो । इंसान यहाँ कभी आ ही नहीं सकता है।(Kahani in hindi) हम उससे बहुत दूर रहते हैं।” चिड़िया बोली, “मैं तो बस इतना कहूँगी कि तुम सभी सावधान रहना।” किसी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और सभी जानवर वहाँ से चले गए। अगले दिन हिरन जंगल में घूम रहा था । वह अचानक जाल में फँस गया। उसे इस हालत में देखकर सारे जानवर डर गए, लेकिन कोई उसकी मदद नहीं कर सका। कुछ ही दिनों के भीतर कई जानवर जंगल से
गायब हो गए। सभी जानवर समझ गए कि उन्होंने चिड़िया की बात नहीं मानकर गलती की। इसके बाद वे सावधानी से रहने लगे।
सीख (Moral Of the Story )-दूसरों की सलाह पर विचार अवश्य करना चाहिए। असावधानी हमेशा परेशानी का कारण बनती है।
मूर्ख सिंह की कहानी(Moral story of foolish Lion )
अंजनावन में एक सिह रहता था। एक दिन उसने बड़ी मेहनत से विशालकाय हाथी का शिकार किया। बूढ़ी लोम लालच आ गया।
छिपकर सिंह को शिकार करते देख रही थी। विशालकाय हाथी को देखकर उसके मन में शिकार को हड़पने की तरकोब सोचने लगी। उसने तुरंत ही अपने मित्र घोड़े और बाज की मदद से एक योजना बना सिंह जब अपने शिकार को खाने के लिए तैयार हुआ, उसी समय लोमड़ी वहाँ पहुँची। उसने सिंह से कह “महाराज, आज मुझे आप पर बहुत दया आ रही है।” सिंह ने गरजते हुए स्वर में पूछा, “क्यो, ऐसा क्या हो गया, तुझे मुझ पर दया आ रही है?” लोमड़ी ने कहा, “महाराज, यह हाथी तो हाथियों के राजा गजराज का छोटा-सा द था।(Kahani in hindi)इसका शिकार करना आपको शोभा नहीं देता है। यदि जंगल में कोई यह सुनेगा कि महाराज ने एक दास शिकार किया है, तो सभी आपका मजाक उड़ाएँगे।” यह कहकर लोमड़ी वहाँ से चली गई। कर रहा था कि घोड़ा
सिंह अभी लोमडी की बातों पर सोच-विचार ही दौड़ते हुए वहाँ आया। उसने सिंह से कहा, “महाराज, आज तो आपने एक दास का शिकार किया है। जंगल में यह बात फैल गई, तो आपकी बदनामी होगी।” यह कहते हुए घोड़ा भी वहाँ से भाग गया। इतने मे बाज वहाँ आया और चिल्लाने लगा, “आज महाराज ने एक दास का शिकार किया है। ” मूर्ख सिंह बदनामी के डर से अपना शिकार छोड़कर भाग गया और लोमड़ी की योजना सफल हो गई।
सीख (Moral Of the Story )● हमेशा दो कदम आगे की सोच रखनी चाहिए। किसी के प्रभाव में आकार कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए।
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धूर्त बिल्ली का न्याय की कहानी
दूर आम के पेड़ पर एक कबूतर रहता था। कबूतर का घोसला बहुत सुंदर था। एक दिन वह अपने दोस्त से मिलने देश चला गया। वह कई महीनों तक वापस नहीं लौटा। इस बीच एक कौआ भटकता हुआ, उस आम के पेड़ के पास आया। सुंदर घोंसला खाली देखकर, वह उसमे रहने लगा। कबूतर जब लौटा, तो उसने अपने घोसले में कौवे को बैठा पाया। उसने कौवे से कहा, “यह घोसला मेरा है। तुम यहाँ से चले जाओ।” कौआ बोला, “इतने दिनों तक मैने इसकी रखवाली की है। अब यह घोसला मेरा हुआ।” दोनों में बहुत बहस हुई, लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया।
कौवे ने कबूतर से कहा, “इस बात का फैसला हम दोनों से नहीं होगा। हमें किसी और की मदद लेनी चाहिए।” कौवे की बात कबूतर को सही लगी। एक बिल्ली भोजन की तलाश में थी। वह बिल्ली बहुत धूर्त थी। उसने देखा कि दो पक्षी उसकी तरफ आ रहे हैं। वह तुरंत ध्यान लगाने का ढोंग करने लगी। दोनों घूमते-घूमते उस बिल्ली के पास पहुँचे। कौआ थोड़ी दूर से बोला, “बिल्ली मौसी, हमारी सहायता कीजिए।” बिल्ली ने कहा, “तुम दोनों अपनी समस्या बताओ। मैं जरूर तुम्हारी सहायता करूँगी ।” सबकुछ सुनने के बाद बिल्ली बोली, “बुढ़ापे के कारण मेरे कान बहुत कमजोर हो गए हैं। तुम दोनों मेरे और पास आकर मुझे सारी बात बताओ।” दोनों बिना सोचे-समझे बिल्ली के पास पहुँच गए। बिल्ली ने मौका देखकर उन दोनों का शिकार कर दिया ।
सीख– दूसरे की चीजों पर अधिकार करना गलत है। सोच-समझकर ही किसी से मदद लेनी चाहिए।
मूर्ख बकरा की कहानी(the Moral story of the foolish goat)
एक सियार जंगल में घूम रहा था। घूमते-घूमते वह एक गड्ढे में गिर पड़ा। गड्ढा बिलकुल कुएँ की तरह था। उसमे पानी भी था। सियार ने गड्ढे से बाहर निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हुआ। काफी देर तक कोशिश करते-करते वह थक गया। उसने सहायता के लिए पुकार भी लगाई, लेकिन कोई नहीं आया। बहुत देर बाद एक बकरा वहाँ पानी पीने आया। उसने सियार को गड्ढे में देखा, तो बोला, “भाई, तुम गड्ढे में क्या कर रहे हो?” सियार को गड्ढे से बाहर निकलने की एक युक्ति सूझी।(Kahani in hindi) उसने कहा, “अरे भाई, इस गड्ढे का पानी बहुत स्वादिष्ट है। इस पानी को पीने से ताकत भी बढ़ती है। यदि तुम्हे भी शक्तिशाली बनना है, तो आओ यह पानी पी लो।” बकरा मूर्ख था । वह सियार की बातों में आकर गड्ढे में कूद पड़ा। सियार ने मौका पाकर बकरे के सहारे छलाँग लगाई और गड्ढे के बाहर आ गया। मूर्ख बकरा वहीं गड्ढे में फँस गया।
सीख (Moral Of the Story )● • आँख मूंदकर किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए। कोई भी कार्य सोच-समझकर करना चाहिए।
बेवकूफ गधा की कहानी(stupid donkey story)
किसी गाँव में एक गरीब लकड़हारा रहता था। उसके पास एक गधा था। वह लकड़ियाँ काटकर बाजार में बेचता था। लकड़हारा इतना भी नहीं कमा पाता था कि गधे को पेटभर भोजन दे सके। भोजन नहीं मिलने के कारण गधा कमजोर हो गया था। एक दिन लकड़हारा जंगल में लकड़ियाँ काटने गया। वहाँ उसे एक मरा हुआ बाघ दिखाई दिया। लकड़हारे ने सोचा, “यदि मैं बाघ की खाल को निकालकर गधे को पहना दूँ, तो यह बिलकुल बाघ की तरह लगेगा। यह फिर किसी भी खेत में जाकर अपना पेट भर सकता है। सभी इससे डरेंगे और कोई इसे भगाएगा भी नहीं।”
लकड़हारा अब गधे को बाघ की खाल पहनाकर दूसरों के खेत में भेजने लगा। गधा मजे से खेत में जाता और पेट भरकर वापस आ जाता था। कई दिनों तक ऐसे ही चलता रहा। एक दिन गधा खेत मे गया। सभी रखवाले उसे बाघ समझकर छिप गए। गधा देर तक चरता रहा। गधे को कुछ गधों के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। आवाज सुनकर वह स्वयं पर काबू न रख सका और खुद भी चिल्लाने लगा। उसकी आवाज सुनकर सभी रखवाले समझ गए कि यह गधा है, जिसने बाघ की खाल पहनी है। उन्होंने उसकी बहुत पिटाई की।
सीख (Moral Of the Story )• नकल के लिए भी अक्ल चाहिए। चोरी करना गलत है।
बगुला और साँप की कहानी(Kahani in hindi– heron and snake)
( पीपल के पेड़ पर एक बगुला रहता था। उसके तीन प्यारे-प्यारे बच्चे थे। उसी पेड़ के नीचे एक साँप भी रहता था एक दिन मौका पाकर साँप ने बगुले के बच्चों को खा लिया। बगुला बहुत दुखी था। उसे दुखी देखकर एक केकड़ा उसके पास आया। केकड़े ने पूछा, “बगुला भाई, तुम इतने दुखी क्यो हो?” बगुले ने सारी बात केकड़े को बता दी बगुला कई बार केकड़े के मित्रों को खा चुका था, इसलिए केकड़ा भी बगुले को अपना दुश्मन मानता था। उसने सोचा कि कोई ऐसा उपाय करना चाहिए कि साँप के साथ बगुला भी खत्म हो जाए।
उसने बगुले से कहा, “थोड़ी दूर पर एक नेवला रहता है। तुम उसकी बिल से सॉप की बिल तक कुछ मछलियाँ बिछा दो। वह मछलियाँ खाते हुए साँप की बिल तक पहुँच जाएगा। जब वह विल में साँप को देखेगा, तो वह उसे मार डालेगा।” बगुले ने तालाब से मछलियाँ पकड़कर बिछा दीं। नेवला एक-एक मछली खाता हुआ सॉप के बिल तक पहुँच गया। उसने तुरंत साँप को मार दिया। वहीं पर बगुला भी बैठा था। मौका देखकर नेवले ने उसे भी अपना शिकार बना लिया। इस तरह केकडे की योजना सफल हो गई।
सीख (Moral Of the Story )– दुश्मन की सलाह सोच-समझकर ही माननी चाहिए। कोई भी कार्य करने से पहले उसके परिणाम पर विचार कर लेना चाहिए।
बैल और शेर की कहानी(Kahani in hindi-the bull and the lion)
कंडपवन में एक मोटा-ताजा बैल टहल रहा था । एक सियार ने उसे देखा, तो उसकी जीभ से पानी गिरने लगा। उसने सोचा, “यदि मैं पीछे से इस बैल पर हमला करूँ, तो यह घायल हो जाएगा। फिर मैं आसानी से इसका शिकार कर लूँगा।” सियार ने लालच में आकर बैल पर हमला कर दिया, लेकिन बैल ताकतवर था। उसने सियार को अपनी सींगों से उठाकर दूर फेंक दिया। सियार चिल्लाते हुए वहाँ से भाग गया।
उसी जंगल में एक शेर रहता था। एक दिन वह शिकारी के जाल मे फँस गया । उसी समय वह बैल वहाँ पहुँचा। उसे शेर पर दया आ गई। उसने अपनी सींगों से उस जाल को तोड़कर शेर को आजाद करा दिया। शेर ने बैल का धन्यवाद किया और दोनों उस दिन से मित्र बन गए। दोनों की मित्रता उस सियार को नापसंद थी।
बोला, “महाराज, वह बैल आपका शत्रु है । वह आपको मारकर इस जंगल का राजा बनने की योजना बना रहा है ।” संयोग से सियार की बातें गुफा के बाहर खड़े बैल ने सुन ली । वह जैसे ही सियार के सामने आया, सियार डरकर भागने लगा। शेर समझ गया कि यह सियार की चाल थी। उसने एक लंबी छलाँग लगाई और एक ही झटके में सियार को मार गिराया।
एक दिन शेर अपनी गुफा मे आराम कर रहा था | सियार उसके पास पहुँचा और बोला, “महाराज, वह बैल आपका शत्रु है । वह आपको मारकर इस जंगल का राजा बनने की योजना बना रहा है ।” संयोग से सियार की बातें गुफा के बाहर खड़े बैल ने सुन ली । वह जैसे ही सियार के सामने आया, सियार डरकर भागने लगा। शेर समझ गया कि यह सियार की चाल थी। उसने एक लंबी छलाँग लगाई और एक ही झटके में सियार को मार गिराया।
सीख (Moral Of the Story )-धोखा देने का परिणाम हमेशा बुरा होता है। • लालच में आकर गलत फैसला नहीं करना चाहिए।
नीला सियार की कहानी(Moral story of blue jackal)
भोजन की तलाश में एक रात सियार किसी गाँव में पहुँचा। वहाँ कपड़े रंगने का काम होता था। अँधेरे में वह एक हौद में जा गिरा, जिसमें नीला रंग भरा था। सियार उठकर वहाँ से जंगल की तरफ भाग निकला। सुबह हुई तो उसने देखा कि सारे जानवर उससे डरकर भाग रहे थे। पानी में उसने जब खुद को देखा, तो वह भी चकित रह गया। उसका पूरा शरीर नीला हो गया था। उसे एक युक्ति सूझी। उसने जंगल के सारे जानवरों को इकट्ठा किया और बोला, “मुझे भगवान ने तुम सभी जानवरों का राजा बनाकर भेजा है। जो मेरी आज्ञा नहीं मानेगा, उसे भगवान सजा देंगे।” उसकी बातें सुनकर सभी जानवर डर गए । जंगल के राजा शेर ने कहा, “हम सभी आज से आपको अपना राजा मानते हैं। आप जो कहेंगे, हम वही करेंगे।”
जंगल के सभी जानवर उसकी सेवा में जुट गए। इसी तरह कई महीने बीत गए । चाँदनी रात थी। सियार भोजन कर अपनी गुफा में आराम कर रहा था । शेर, बाघ व अन्य जानवर बाहर पहरा दे रहे थे। दूर सियारों की टोली ‘हुआँ हुआँ’ कर चिल्ली रही थी । वह आवाज सियार के कानों में पड़ी | सियार ने ध्यान नहीं दिया और वह भी ‘हुआँ-हुआँ’ करने लगा।(Kahani in hindi) उसकी आवाज सुनकर सभी जानवर समझ गए कि यह एक सियार है, जो रंग बदलकर सभी को धोखा दे रहा है। शेर ने एक ही वार में उस सियार को मार गिराया।
सीख– धोखा देना बहुत बुरी बात है। • धोखेबाजी का परिणाम बुरा ही होता है.
ऊँट और सियार की कहानी(Camel and jackal story In hindi)
किसी जंगल में एक ऊँट और सियार रहते थे। दोनों मित्र थे। एक दिन सियार को नदी के उस तरफ खेत में ढेर सारे गन्ने दिखे। सियार को गन्ने खाने का मन किया। दोनों ने रात में वहाँ जाने का निर्णय लिया। समस्या यह थी कि नदी कैसे पार की जाए? ऊँट ने सियार से कहा, “तुम मेरी पीठ पर बैठ जाना, फिर हम दोनों नदी पार कर लेंगे।”
रात को दोनों नदी पार कर खेत में पहुँचे। सियार ने जल्दी-जल्दी गन्ना खाया। पेट भर जाने पर उसे एक शरारत सूझी। उसने जोर-जोर से हुआँ हुआँ’ करना शुरू कर दिया । ऊँट डर गया और उसने सियार को चिल्लाने से मना
किया। सियार बोला, “खाने के बाद यदि मैं न चिल्लाऊँ, तो मेरा पेट खराब हो जाता है।” यह कहकर वह फिर चिल्लाने लगा। उसकी आवाज सुनकर रखवाले आ गए | सियार तो भाग निकला, लेकिन ऊँट की बहुत पिटाई हुई। घायल ऊँट नदी के किनारे पहुँचा | सियार पहले से वहाँ खड़ा था । ऊँट नदी पार करने लगा, तो सियार उसको पीठ पर बैठ गया। ऊँट बहुत गुस्से में था । वह सियार को सबक सिखाना चाहता था। बीच नदी में पहुँचकर वह पानी में लोटने लगा। सियार ने जब उसे मना किया, तो वह बोला, “खाने के बाद यदि मैं पानी में न लोटूं, तो मेरा पेट खराब हो जाता है।” ऊँट पानी में लोटने लगा और सियार पानी में डूब गया।
सीख (Moral Of the Story )• जैसी करनी, वैसी भरनी। • दोस्तों को व्यर्थ में परेशान करना बहुत गलत है।