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DRDO का full form क्या है। DRDO क्या है, DRDO के बारे मे जानकारी(About DRDO full form)

DRDO क्या है और DRDO का full form क्या है।

DRDO भारत के रक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह भारत की रक्षा के लिए आधुनिक हथियारों का निर्माण करता है। DRDO मे 5000 से अधिक वैज्ञानिक तथा 25 हजार से अधिक technician काम करते हैं। यह सभी लोग मिलकर भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूत और बेहतर बनाने के लिए दिन रात तत्पर रहते हैं।

DRDO- defence research and development organisation

डीआरडीओ की स्थापना(Establishment of DRDO)

देश की रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के लिए डीआरडीओ की स्थापना 1958 में की गई थी। उस समय डीआरडीओ एक छोटा संगठन था। आज के समय में डीआरडीओ एक बहुत बड़े संगठन के रूप में विकसित हो चुका है। डीआरडीओ के प्रमुख के महानिदेशक रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार होते हैं। इस संगठन का मुख्यालय नई दिल्ली में है।

डीआरडीओ द्वारा बनाई गई मिसाइलों का विवरण(Description of missiles made by DRDO)

पृथ्वी (Prithvi)

यह जमीन से जमीन पर मार करने वाला कम दूरी का बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है।
‘पृथ्वी’ प्रक्षेपास्त्र का प्रथम परीक्षण फरवरी, 1998 को चाँदीपुर अंतरिम परीक्षण केंद्र से किया गया।
पृथ्वी की न्यूनतम मारक क्षमता 40 किमी तथा अधिकतम मारक क्षमता 250 किमी है।

त्रिशुल (Trishul)

यह कम दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है।
इसकी मारक क्षमता 500 मी से 9 किमी तक है।
यह मैक-2 की गति से निशाने को बेध सकता है।

आकाश (Aakash)

DRDO full form-यह जमीन से हवा में मार करने वाला मध्यम दूरी का बहुलक्षीय प्रक्षेपास्त्र है।

इसकी मारक क्षमता लगभग 25 किमी है। आकाश पहली ऐसी भारतीय प्रक्षेपास्त्र है, जिसके प्रणोदक में रामजेट सिद्धांतों का प्रयोग किया गया है। इसकी तकनीकी को दृष्टिगत करते हुए इसकी तुलना अमरीकी पैट्रियाट
मिसाइल से की जा सकती है। यह परम्परागत एवं परमाणु आयुध को ढोने की क्षमता रखता है तथा इसे मोबाइल लांचर से भी छोड़ा जा सकता है।

अग्नि (Agni)

अग्नि श्रेणी में तीन प्रक्षेपास्त्र हैं : अग्नि-I, अग्नि-II एवं अग्नि-III

अग्नि जमीन से जमीन पर मार करने वाली मध्यम दूरी की बैलस्टिक मिसाइल है।

अग्नि-III की मारक क्षमता 3000 किमी से 3500 किमी तक है।

अग्नि-III को पाकिस्तान की हत्फ-3 तथा इजराइल की जेरिको-2 की श्रेणी में रखा जा.सकता है।

अग्नि III परम्परागत तथा परमाणु दोनों प्रकार के विस्फोटकों को ढ़ोने की क्षमता रखती है।

नाग (Nag)

यह टैंक रोधी निर्देशित प्रक्षेपास्त्र है। इसकी मारक क्षमता 4 किमी है। इसका प्रतम सफल परीक्षण नवम्बर, 1990 में किया गया।

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इसे ‘दागो और भूल जाओ’ टैंक रोधी प्रक्षेपास्त्र भी कहा जाता है क्योंकि इसे एक बार दागे जाने के पश्चात पुनः निर्देशित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

कुछ अन्य भारतीय मिसाइल(DRDO weapons list)

धनुष (Dhanush)

यह जमीन से जमीन पर मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों
में से एक है।

यह ‘पृथ्वी’ प्रक्षेपास्त्र का ही नौसैनिक रूपान्तरण है।

इसकी मारक क्षमता 150 किमी तथा इस पर लगभग
500 किग्रा आयुध प्रक्षेपित किया जा सकता है।

सागरिका (Sagrika)

यह सबमेरीन लाँच बैलेस्टिक मिसाइल है।

समुद्र के भीतर से इसका पहला परीक्षण फरवरी, 2008 में किया गया।

यह परम्परागत एवं परमाणु दोनों ही तरह के आयुध ले जाने में सक्षम है।
इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के द्वारा तैयार किया गया है।
•भारत ऐसा पाँचवा देश है जिसके पास पनडुब्बी से बैलिस्टिक मिसाइल दागने की क्षमता है। (चार अन्य देश हैं : यू. एस. ए., फ्रांस, रूस

अस्त्र (Astra)

यह मध्यम दूरी का हवा से हवा में मार करने वाला और स्वदेशी तकनीक से विकसित प्रक्षेपास्त्र है। इसकी मारक क्षमता 10 से 25 किमी है।

यह भारत का प्रथम हवा हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है।

ब्रह्मोस (Brahmos)

यह भारत एवं रूस की संयुक्त परियोजना के तहत विकसित किया जाने वाला प्रेक्षपास्त्र है।
यह सतह से सतह पर मार करने वाला मध्यम दूरी का सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।
इसका प्रथम सफल परीक्षण जून, 2001 में किया गया था। इसका तीसरा सफल परीक्षण मार्च 2009 में किया गया।
यह भी दागो और भूल जाओ (Fire and Forget) की पद्धति पर ही विकसित किया गया है।
इस क्रूज मिसाइल को जून, 2007 में भारतीय थल सेना में सम्मिलित किया गया। लगभग 290 किमी तक 200 किलोग्राम वजनी परमाणु बम ले जाने में सक्षम ब्रह्मोस ध्वनि की लगभग तीन गुना तेज गति से चलती है।

प्रद्युम्न (Pradhuman)

यह प्रक्षेपास्त्र दुश्मन के प्रक्षेपास्त्र को हवा में बहुत ही कम दूरी पर मार गिराने में सहायक है।
यह एक इंटरसेप्टर प्रेक्षपास्त्र है।
भारत ने स्वदेश निर्मित एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD-02) मिसाइल का परीक्षण उड़ीसा के पूर्वी तट पर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से 6 दिसम्बर, 2007 को किया ।

युद्धक टैंक अर्जुन

इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के द्वारा किया गया है ।

इस युद्धक टैंक की गति अधिकतम 70 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है।

यह रात के अंधेरे में भी काम कर सकता है।
इस टैंक में लगा एक विशेष प्रकार का फिल्टर जवानों को जहरीली गैसों एवं विकिरण प्रभाव से रक्षा करता है। इस फिल्टर का निर्माण बार्क (BARC) ने किया है।

अर्जुन टैंक को विधिवत रूप से भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है।

T-90 एस. भीष्म टैंक

About DRDO-इसका निर्माण चेन्नई के समीप आवडी टैंक कारखाने में किया गया है। यह चार किमी के दायरे में प्रक्षेपास्त्र दाग सकता है | यह दुशमन की प्रक्षेपास्त्र से स्वयं को बचाने की क्षमता रखता है तथा जमीन में बिछाई गयी बारूदी सुरंगों से भी अपनी रक्षा करने की क्षमता रखता है।

भारतीय वैज्ञानिकों और DRDO द्वारा बनाई गई कुछ अन्य मिसाइलों(Defence research and development organisation)

हल्के लड़ाकू विमान तेजस (Tejas)

यह स्वदेश निर्मित प्रथम हल्का लड़ाकू विमान है। इसके विकास में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
इसमें अभी जी.ई.-404 अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रॉनिक का इंजन लगा है जिसे भविष्य में स्वदेश निर्मित कावेरी इंजन लगाकर हटाया जाएगा।
विश्व के सबसे कम वजन वाले बहुआयामी सुपर सोनिक लड़ाकू विमान 600 किमी/घंटे से उड़ान भरती है और हवा से हवा में, हवा से धरती पर तथा हवा से समुद्र में मार करने में सक्षम है।

पायलट रहित प्रशिक्षण विमान-निशांत

यह स्वदेशी तकनीक से निर्मित पायलट रहित प्रशिक्षण विमान है।

इसे जमीन से 160 किमी के दायरे में नियंत्रित किया जा सकता है। इस विमान का मुख्य उद्देश्य युद्ध क्षेत्र में पर्यवेक्षण और टोह लेने की भूमिकाओं का निर्वाह
करना है।

पायलट रहित विमान-लक्ष्य

इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के द्वारा किया गया है। इसका उपयोग जमीन से वायु तथा वायु से वायु में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों से तथा तोपों से निशाना लगाने के लिए प्रशिक्षण देने हेतु एक लक्ष्य के रूप में प्रयोग किया जाता है।

यह जेट इंजन से चलता है तथा 10 बार प्रयोग में लाया जा सकता है। 100 km के दायरे में इसे रिमोट से नियंत्रित किया जा सकता है

इसका प्रयोग तीनों सेनाओं द्वारा किया जा रहा है। एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर-ध्रुव – इसे डी.आर.डी.ओ. द्वारा विकसित किया गया है।
अधिकतम 245 किमी/घंटे की गति से उड़ान भरने वाला यह हेलीकॉप्टर 4 घंटे तक आकाश में रहकर 800 किमी की दूरी तय कर सकता है। यह दो इंजन वाला हेलीकॉप्टर है जिसमें दो चालकों सहित 14 व्यक्तियों को ले जाया जा सकता है।

आई.एल.-78

यह आसमान में उड़ान के दौरान ही लड़ाकू विमानों में ईंधन भरने वाला प्रथम विमान है जिसे भारत ने मार्च, 2003 में उज्बेकिस्तान से प्राप्त किया है।

इस विमान में 35 टन वैमानिकी ईंधन के भण्डारण की सुविधा है। आगरा के वायु सैनिक अड्डे पर इन विमानों को रखने की विशेष व्यवस्था है।

काली-5000

काली-5000 का विकास बार्क (BARC) द्वारा किया जा रहा है। यह एक शक्तिशाली बीम अस्त्र है जिसमें कई गीगावाट शक्ति की माइक्रोवेव तरंगें उत्सर्जित होंगी, जो शत्रु के विमानों एवं प्रक्षेपास्त्रों पर लक्षित करने पर उनकी इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों और कम्प्यूटर चिप्स को समाप्त करके उन्हें ध्वस्त करने में सक्षम होंगी।

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पिनाका

यह मल्टी बैरल रॉकेट लांचर है।

स्वदेशी तकनीक से डी.आर.डी.ओ. द्वारा विकसित इस रॉकेट प्रक्षेपक को ए.आर.डी.ई. पूणे मे निर्मित किया गया है तथा इसका नाम भगवान शंकर के धनुष ‘पिनाक’ के नाम पर ‘पिनाका’ रखा गया।

इसके द्वारा मात्र 40 सेकेण्ड में ही 100-100 किग्रा वजन के एक के बाद एक 12 रॉकेट प्रक्षेपित किए जा सकते हैं, जो कम से कम 7 और अधिक से अधिक 39 किमी दूर तक दुश्मन के खेमे में तबाही मचा सकते हैं।

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