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रॉबर्ट बॉयल की जीवनी – Biography of Robert Boyle in hindi

  • जन्म – 26 जनवरी, 1627
  • जन्म स्थान -मुस्तर, आयरलैंड
  • निधन – 30 दिसम्बर, 1691

रॉबर्ट बॉयल ने वैक्यूम पम्प का निर्माण किया। वो उन महान वैज्ञानिकों में थे जिनकी अभिरुचि विज्ञान की एक ही शाखा तक सीमित नहीं होती। शब्द की गति, वर्ण-भंगिमा के तथा वर्णों के मूल कारण और स्फाटिकों की रचना के सम्बंध में उन्होंने अनेक अनुसंधान किए।

रॉबर्ट बॉयल का जन्म – about robert boyle in hindi

रॉबर्ट बॉयल( robert boyle )का जन्म, 26 जनवरी, 1627 के दिन आयरलैंड के मुंस्टर शहर में हुआ था। वे कॉर्क के अतिसमृद्ध, अतिसम्पन्न अर्ल की 14वीं संतान, एवं 10वें पुत्र थे। उनकी अद्भुत प्रतिभा के सम्बंध में कभी भी किसी को संदेह नहीं हुआ। इसके अतिरिक्त उन्हें वे सारी सुविधाएं यूं ही प्राप्त थीं जो एक सुलझा हुआ और सम्पन्न बाप अपने बेटे के लिए जुटा सकता है। (Biography of Robert Boyle in hindi )अंग्रेजी के साथ-साथ उन्होंने लैटिन और फ्रेंच का अध्ययन किया और, आगे चलकर, अपनी इस बढ़ती भाषा-सम्पदा में हिब्रू, ग्रीक और सीरियैक का समावेश भी कर लिया।

इस सबका परिणाम यह हुआ कि बाइबल का गम्भीर अध्ययन वे उसकी मूल भाषाओं के माध्यम से करने में सफल रहे। 8 साल की उम्र में वह ईटन कालिल में दाखिल हुए। ईटन उन दिनों इंग्लैंड की प्राथमिक पाठशालाओं में सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध विद्यालय था। तीन साल बाद उनका स्कूल छुड़वा दिया गया, ताकि वे महाद्वीप यूरोप की यात्रा कर आएं। इंग्लैंड का एक श्रेष्ठ नागरिक बनने के लिए यह यात्रा भी उस युग में आवश्यक समझी जाती थी। तब विद्यार्थी के लिए एक प्रकार से यही ‘दीक्षान्त’ हुआ करता था।

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किंतु उसके लिए ग्यारह साल की उम्र आमतौर पर काफी नहीं होती। 1641 में 14 साल के रॉबर्ट इटली पहुंचे और वहां वह प्रख्यात वैज्ञानिक गैलीलिओ के सम्पर्क में आए। उन्होंने निश्चय कर लिया कि अब वह अपना जीवन विज्ञान के अध्ययन को ही अर्पित कर देंगे।

रॉबर्ट बॉयल और उनका अध्ययन कार्य -robert boyle scientist

इंग्लैंड वापस पहुंचकर वे ऑक्सफोर्ड का विद्यार्थी बन गए। विज्ञान का उन दिनों वहां यही प्रसिद्ध केंद्र था। ऑक्सफोर्ड में उन्होंने पाया कि वह, अनजाने में ही, विश्वविद्यालय के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के एक ‘अदृश्य कुल’ का सदस्य बन चुके है। इस कुल व समाज के कुछ लिखित नियम-उपनियम नहीं थे—बस, हर विषय पर खुलकर विवेचन, विनियम। 1660 में बादशाह ने इन वैज्ञानिकों एक घोषण -पत्र प्रदान कर दिया जिसके परिणामस्वरूप उनकी वह ‘इन्विजिबल सोसायटी‘ अब ‘रायल सोसायटी’ बन गई। इस सोसायटी के सदस्यों का ध्येय था—विज्ञान
का परीक्षणात्मक अध्ययन। उनका सिद्धांत था— ‘सत्य की उपलब्धि केवल प्रत्यक्ष द्वारा—अंतःप्रत्यक्ष (चिंतन) तथा बहिः प्रत्यक्ष (परीक्षण) द्वारा—ही हो सकती है।’

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रॉबर्ट बॉयल का विज्ञान के क्षेत्र मे योगदान – robert boyle information

बॉयल( robert boyle )की ख्याति विज्ञान में एक परीक्षण-प्रिय वैज्ञानिक के रूप में ही है, ‘बॉयल्ज लॉ’ के जनक के रूप में। बॉयल का नियम विज्ञान का वह नियम है जिसके द्वारा हम बता सकते हैं कि दबाव के घटने-बढ़ने से हवा की हालत में क्या अंतर आ जाता है। इस नियम का आविष्कार (robert boyle scientist )परीक्षणों द्वारा हुआ था और बहुत देर बाद ही जाकर कहीं उसे भौतिक-विज्ञान के एक सूत्र का रूप मिल सका था।

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बॉयल के सिद्धांत robert boyle’s law को आज भौतिकी में हर वैज्ञानिक प्रतिदिन प्रयुक्त करता है__गैस का परिमाण, दबाव के अनुसार, विपरीत अनुपात में अदलता-बदलता ने विशेषतः जैकीज चार्ली ने, इसमें इतना और जोड़ दिया कि ‘यदि तापमान में परिवर्तन न आए, तब’। बॉयल (robert boyle) के बहुत-से परीक्षणों तथा अंवेषणों का वर्णन हमें उनके भतीजे के नाम लिखे गए पत्रों में मिलता है। कभी-कभी ये पत्र सौ-सौ से भी ज्यादा पृष्ठ के हो जाते। बॉयल (Biography of Robert Boyle in hindi ) एक महान वैज्ञानिक थे, और उनकी अभिरुचि भी विज्ञान की एक ही शाखा तक सीमित न थी।

शब्द की गति, वर्ण-भंगिमा के तथा वर्णों के मूल कारण तथा स्फटिकों की रचना के सम्बंध में उन्होंने अनुसंधान किए। जिसे आदमी चला सके ऐसे एक वैक्यूम पम्प का निर्माण भी किया, और साबित कर दिखाया कि हवा से महरूम जगह में कोई प्राणी जीवित नहीं रह सकता, यह भी कि वायु से शून्य स्थान में गंधक जलेगी नहीं। ‘रासायनिक तत्त्व’ का एक लक्षण भी, कहते हैं इसे बॉयल ( Biography of Robert Boyle in hindi ) ने सुझाया था और जो हमारी वर्तमान ‘रसायन दृष्टि’ से कोई बहुत भिन्न नहीं। ‘वह द्रव्य जिसे छिन्न-भिन्न नहीं किया जा सकता, किंतु एक सच्चे वैज्ञानिक की भांति उन्होंने इसका जैसे संशोधन भी साथ ही कर दिया था कि किसी भी अद्यावधि ज्ञात तरीके से (तोड़ा-फोड़ा नहीं जा सकता)।’ किंतु आजकल की परीक्षणशालाओं में इन तत्त्वों की आंतरिक-रचना में भी परिवर्तन लाया जा चुका है।

बॉयल (Biography of Robert Boyle in hindi ) एक उदारहृदय व्यक्ति थे और यदि उन्होंने ‘बॉयल्ज लॉ’ का आविष्कार नही भी किया होता, तब भी इतिहास के अमर पुरुषों में उनका नाम सदा स्मरण किया जाता . न्यूटन के ‘प्रिन्सीपिया’ के प्रकाशन की व्यवस्था उन्होंने ही पहले-पहल की थी।

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रॉबर्ट बॉयल के अंतिम पल – Robert Boyle’s Last Moment

30 दिसम्बर, 1691 को लंदन में उनकी मृत्यु हुई। उनकी उम्र तब 64 साल थी। अंधविश्वासों और चुडैलों के उस जमाने में भी उन्होंने विज्ञान में कुछ महत्त्वपूर्ण दिशाएं और प्रणालियां प्रस्तुत की और अपने समकालीन कितने ही वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा एवं अर्थ की दृष्टि से सचमुच एक स्रोत बन गए। वे लोग कहा भी करते थे— ‘रॉबर्ट बॉयल ( Biography of Robert Boyle in hindi ) तो सत्य को, जैसे, सूंघ ही लेते हैं।’

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