- जन्म – 129 ई .
- जन्म स्थान – पर्गेमम द्वीप, एशिया माईनर
- निधन -217 ई .
महान चिकित्सक शास्त्री गैलेन की गणना विश्व के धन्वंतरियों मे की जाती है. इन्हे शरीर रचना विज्ञान का जनक माना जाता है. गैलेन ने ह्रदय और नाड़ी सम्बंधित अद्धभुत जानकारीया एकत्र की जिसके आधार पर आधुनकि चिकित्साक शास्त्र का जन्म हुआ.
गैलेन का जन्म – Biography of medical scientist Galen in hindi
गैलेन का जन्म ईसा से 129 वर्ष बाद एशिया माइनर के पर्गेमम द्वीप मे हुआ था. एशिया माइनर कालासागर के बिच मे स्थित एक प्रयद्वीप है. जो बिच मे ईजीयन सागर द्वारा ग्रीस से बिभक्त हो जाता है. गैलेन के समय यह द्वीप सभ्य और समृद्ध देशों मे शामिल था. और इसपर रोम का शासन था.
गैलेन (Biography of medicalscientist Galen in hindi ) के पिता ग्रीक थे और सूशिक्षित थे. अंकगणित, ज्यामिति, और ज्योतिविज्ञान मे उन्हें निपुणता प्राप्त थी. वे एक गणितज्ञ भी थे. पिता का पुत्र पर महान प्रभाव पड़ा. अपने पिता के कारण ही उनके मनोवृती मे वैज्ञानिकता आयी. पिता का उपदेश था. – “सत्य की आराधना करनी चाहिए” उन्होंने सुना और सुनकर उसपर चिंतन किया. उन्होंने निर्नय लिया . – किसी भी मत और समुदाय कर अनुसरन की अवश्यकता नहीं है.
चौदहवे साल तक जैसा की उन दिनों रिवाज़ था. गैलेन (Biography of medical scientist Galen in hindi ) की पढ़ाई लिखाई घर पर ही हई. 15 वे साल मे उन्हें बिभिन्न शिक्षा केंद्र मे वख्यान सुनने भेज दिया गया. ताकि ग्रीक philosopher के महाकाव्यो का चयन कर सके. गैलेन जब 17 वर्ष के हो गए तब जाकर उन्होंने निशचय किया की उन्हें डॉक्टर बनना है. डॉक्टर बनने का विचार उनको सपने मे आया था. उन दिनों लोगो को सपनों की सत्यता पर बहुत विश्वास हुआ करता था.
गैलेन और चिकित्सक शास्त्र का अध्ययन – What did Galen discover about the human body?
चिकत्सक शास्त्र का अध्ययन गैलेन ने उन दिनों के माने हुए विशेषज्ञो के यहां जाकर किया. इसके लिए उन्हें देश विदेश भ्रमण कारना पड़ा उनदिनों जितने भी विषय एक विधार्थी को पढ़ाये जाते थे. जैसे – ज्यामिती, ज्योतिविज्ञान, भाषा विज्ञान तथा आयुर्वेद इन सभी का स्वअध्ययन गैलेन ने किया. उन्तीस साल तक उनका यह विधार्थी जीवन चलता रहा. उन दिनों यह एक लम्बा अरसा माना जाता था. खैर वापस घर लौटने पर उन्होंने practice शरू कर दी. और इसमें प्रयाप्त सफलता भी मिली.
साथ ही उन्हें रोम की ग्लैडीयेटर की मरहम पटी के लिए बुलाया जाने लगा. ग्लैडीयेटर लोग लोग तलवार हाथ मे लेकर एक दूसरे की जान लेने के उदेश्य से युद्ध किया करते थे. यह रोमनों का एक मनपसंद खेल था. लेकिन इंसान के जिसमे पर चिड़ाफाड़ी से उन्हें आपत्ति थी.
गैलेन ने अपने पद फायदा उठाया. वे वहा भी अपने शल्यचिकित्सा अध्ययन भी करते रहे शरीर रचना विज्ञान और शरीर विज्ञान दोनों मे उन्होंने बड़े महत्वपूर्ण अनुसन्धान किये. उनके उन तमाम लिखें हजारों शोधों के एक ग्रथ मौजूद है.
कानूनन वे मनुष्य के शरीर की रचना का पूरा पूरा अध्ययन नहीं कर सकते थे. वह कर उन्होंने 31 बंदरो के शरीरीक अध्ययन द्वारा पूरी की.
गैलेन ने हार्ट का भी अध्यायन किया. की कैसे हमारे हर्ट मे ब्लड पंप करता है. लेकिन उनकी एक गलत अवधारणा ने इन सभी चीजों पर पानी फेर दिया . उनका मानना था की रक्त हार्ट के दक्षिण भाग से किसी प्रकार बिच की दीवार मे ही रिसकर दूसरी तरफ पहुँच जाता है.
नाड़ी तंत्र के सम्बन्ध मे गैलेन (Biography of medical scientist Galen in hindi )आधुनिक विज्ञान के काफ़ी करीब थे. यह पहचान भी गैलेन को हो चुकी थी की नब्ज़ की रफ़्तार किस तर मरीज की हालत के बारे मे सही सही खबर देती है.
गैलेन के बाद उनके द्वारा की गए कार्य
1500 साल से अधिक गुजर गए. किन्तु चिकित्सक जगत की यह अवधारणा बनी रही की गैलेन के सिद्धांतो मे कोई त्रुटि नहीं हो सकती. अगर किसी ने उसपर आपत्ति की ती उसका अर्थ होता – अब न कोई उसकी मरीज सुनेगा और न कोई वैध. जबकि गैलेन का खुद का आदेश है की बिना परीक्षण के किसी भी निष्कर्ष को आँख बंद कर स्वीकारना नहीं चाहिए.
16 सदी मे बेल्जियम के एक डॉक्टर वासेलियस ने मानव शरीर के अंग के सम्बन्ध मे विशेष परीक्षण किये. और गैलेन की प्राणिकता को विचलित करने की कोशिस की. किन्तु एक सादी और बीत गयी. तब विलयम हर्वे ने आकर रक्त प्रवाह से सम्बंधित अपने शोधपत्रों को प्रकाशित कराया. तब जाकर चिकित्सक के क्षेत्र मे गैलेन का परवाह कुछ हटना शुरू हुआ.
गैलेन की मृत्यु के बारे मे हमें ज्यादा जानकारी नहीं मिल पायी.
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