हिंदी कविताएं ढूंढ रहे है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं क्योंकि आज हम आपके लिए लेकर आए हैं 40 से ज्यादा बेहतरीन कविताएं. यह सभी कविताएं हमारी खास जिंदगी पर आधारित हैं जिन्हें हम अपने बच्चों को सुना सकते हैं।
इन कविताओं को इतनी अच्छी तरह से लिखा गया है कि बड़ों से लेकर छोटे बच्चे भी आसानी से समझ सकते हैं, इन कविताओं में आप रोचक किस्से कहानियां, और जीवन के विभिन्न कठिनाइयों को कविताओं के माध्यम से सीखेंगे.
इस पोस्ट के आधार पर हम आपको उन बेहतरीन कविताओं के बारे में अवगत कराएंगे जी ने आपने शायद अपने बचपन में सुना होगा. इन कविताओं में मनोरंजन के साथ-साथ कभी हमारे जीवन जीने के तरीकों को ही बताता है. तो चलिए शुरू करते हैं
चतुर चित्रकार
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- चित्रकार सुनसान जगह में बना रहा था चित्र।
- इतने ही में वहां आ गया यम राजा का मित्र।।
- उसे देखकर चित्रकार के तुरंत उड़ गये होश।
- नदी पहाड़ पेड़ फिर उसको कुछ हिम्मत आई देख उसे चुपचाप।
- बोला सुन्दर चित्र बना दूं बैठ जाइये आप।।
- उकरू मुकरू बैठ गया वह सारे अन्ग बटोर।
- बड़े ध्यान से लगा देखने चित्रकार की ओर।।
- चित्रकार ने कहा हो गया आगे का तैयार।
- अंब मुंह आप उधर तो करिये जंगल के सरदार।।
- बैठ गया वह पीठ फिराकर चित्रकार की ओर।
- चित्रकार चुपके से खिसका जैसे कोई चोर।।
- बहुत देर तक आंख मूंदकर पीठ घुमाकर शेर।
- बैठ बैठ लगा सोचने इधर हुई क्यों देर।।
- झील किनारे नाव लगी थी एक रखा था बांस।
- चित्रकार ने नाव पकड़कर ली जी भरके सांस।।
- जल्दी जल्दी नाव चलाकर निकन गया वह दूर।
- इधर शेर था धोखा खाकर झुंझलाहट में चूर।।
- शेर बहुत खिसियाकर बोला नाव जरा ले रोक।
- कलम और कागज तो ले जा रे कायर डरपोक।।
- चित्रकार ने कहा तुरन्त ही रखिये अपने पास।
- चित्रकला का आप कीजिए जंगल में अभ्यास।।
मम्मी
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- परीलोक की कथा-कहानी
- हँसकर मुझे सुनातीं मम्मी,
- फूलों वाले, तितली वाले
- गाने मुझे सिखातीं मम्मी।
- खीर बने या गरम पकौड़े
- पहले मुझे खिलातीं मम्मी,
- होमवर्क पूरा कर लूँ तो-
- टॉफी-केक दिलातीं मम्मी।
- काम अगर मैं रहूँ टालता
- तब थोड़ा झल्लातीं मम्मी,
- झटपट झूठ पकड़ लेती हैं
- मन-ही-मन मुसकातीं मम्मी।
- रूठूँ तो बस बात बनाकर
- पल में मुझे मनातीं मम्मी,
- बड़ा लाड़ला तू तो मेरा-
- कहकर मुझे रिझातीं मम्मी।
- बच्चों की कविता
- पापा जी का डंडा गोल,
- मम्मी जी की रोटी गोल,
- नानी जी की ऐनक गोल,
- नाना जी का पैसा गोल,
- बच्चे कहते लड्डू गोल,
- मैडम कहतीं दुनिया गोल।
सीखो
- फूलों से तुम हँसना सीखो,
- भंवरों से नित गाना।
- वृक्षों की डाली से सीखो,
- फल आए झुक जाना।
- सूरज की किरणों से सीखो,
- जगना और जगाना।
- लता और पेड़ो से सीखो,
- सबको गले लगाना।
- दूध और पानी से सीखो,
- मिल जुलकर सबसे रहना।
- अपनी प्रिय पृथ्वी से सीखो,
- हँस हँस सब कुछ सहना।
नील पर
- आसमान से हँसती-गाती
- नील परी भू पर आती है,
- आकर के नन्ही बगिया को
- खुशबू से यह भर जाती है।
- जादूगर-सी छड़ी लिए है
- बैठी बच्चों के सिरहाने,
- इसके आते ही फूलों से
- झरने लगते मीठे गाने।
- इसकी मुसकानें मोती हैं
- और चाँद है इसकी बिंदिया,
- बच्चे इसको खूब जानते-
- कहते हैं-लो आई निंदिया!
मैं भी स्कूल में जाऊंगा
- मम्मी मुझको बस्ता ले दो
- मैं भी स्कूल में जाऊंगा,
- A B C D पढूंगा मैं भी
- क ख ग भी पढ़ कर आऊंगा
- सीखूंगा बातें नयी और
- आकर सब को बताऊंगा,
- मम्मी मुझको बस्ता ले दो
- मैं भी स्कूल में जाऊंगा।
- पढ़ लिख कर इक दिन मैं भी
- नाम बहुत ही कमाऊंगा
- होगा गर्व तुझे उस दिन
- जब देश के काम, मैं आऊंगा,
- कलाम, भगत सिंह जैसा बन कर
- इस जग में मैं छा जाऊंगा
- मम्मी मुझको बस्ता ले दो
- मैं भी स्कूल में जाऊंगा।
बांसुरी वाला
- बात सात सौ साल पुरानी
- सुनो ध्यान से प्यारे
- हैम्लिन नामक एक शहर था
- वीजर नदी किनारे।
- यूं तो शहर बहुत सुन्दर था
- हैम्लिन जिसका नाम
- मगर वहां के लोगों का
- हो गया था चैन हराम।
- इतने चूहे इतने चूहे
- गिनती हो गई मुश्किल
- जिधर भी देखो जहां भी देखो
- करते दिखते किल बिल।
- बाहर चूहे घर में चूहे
- दरवाजे और दर में चूहे
- खिड़की और आलों में चूहे
- थालों और प्यालों में चूहे।
- ट्रंक में और संदूक में चूहे
- फौजी की बंदूक में चूहे
- अफसर की गाड़ी में चूहे
- नौकर की दाढ़ी में चूहे।
- पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण
- जिधर भी देखो चूहे
- ऊपर नीचे आगे पीछे
- जिधर भी देखो चूहे।
- दुबले चूहे मोटे चूहे
- लंबे चूहे छोटे चूहे
- काले चूहे गोरो चूहे
- भूखे और चटोरो चूहे।
- चूहे भी वो ऐसे चूहे
- बिल्ली को खा जाए
- चीले जान बचाएं।
- चूहो से घबराकर राजा ने किया ऐलान
- जो उनसे पीछा छुटवाये
- पाये ढ़ेर ईनाम।
- सुनकर ये ऐलान वहां पर
- पहुंचा एक मदारी
- मस्त कलंदर नाम था उसका
- मुंह पर लंबी दाढ़ी।
- झोले से बंसी निकालकर
- मीठी तान बजाई
- जिसको सुनकर चूहा सेना
- दौड़ी दौड़ी आई।
- कोनों खुदरों से निकले
- और निकले महल अतारी से
- नाले नाली से निकले
- और निकले बक्सपिटारी से।
- घर की चौखट को फलांगकर
- आये ढेरों चूहें
- छत के ऊपर से छलांग कर
- आये ढ़ेरों चूहे।
- लाखों चूहों का जलूस
- चल पड़ा मदारी के पीछे
- जैसे कोई डोरी उनको
- लिये जा रही हो खींचे।
- आगे आगे चला मदारी
- पीछो चूहे सारे
- चलते चलते वो जा पहुंचे
- वीज़र नदी किनारे।
- वहां पहुंच कर भी ना ठहरा
- वो छह फुटा मदारी
- उतर गया दरिया के अन्दर
- पीछे पलटन सारी।
- ले गया मदारी सब चूहों को
- वीज़र नदी के अंदर
- एक भी जिंदा नहीं बचा
- सब डूबे नदी के अन्दर।
- चूहों को यूं मार मदारी
- राजा के घर आया
- अपने इनाम का वादा उसको
- फौरन याद दिलाया।
- राजा बोलाः क्या कहते हो
- मिस्टर मस्त कलंदर
- चूहे तो खुद ही जा डूबे
- वीज़र के अन्दर।
- कौन सा तुमने कद्दू में
- मारा है ऐसा तीर
- जिसके कारण पुरस्कार
- दे तुमको मस्त फकीर
- देखके ऐसी मक्कारी
- वो रह गया हक्काबक्का
- उसके भोले मन को इससे
- लगा जोर का धक्का।
- गुस्से से हो आगबबूला
- महल से बाहर आया
- थैले से बंसी निकाल कर
- सुंदर राग बजाया।
- सुनकर उसकी बंसी की धुन
- बच्चे दौड़े आये।
- लम्बे बच्चे, छोटे बच्चे
- दुबले बच्चे, मोटे बच्चे
- दूर के बच्चे, पास के बच्चे
- साधारण और खास से बच्चे।
- हंसते बच्चे, रोते बच्चे
- जाग रहे और सोते बच्चे
- गांव, मुहल्ले, डगर के बच्चे।
- लाखों बच्चों का जमघट
- चल पड़ा मदारी के पीछे
- जैसे कोई जादू, उनको
- लिए जा रहा हो खींचे।
- ले गया दूर शहर से उनको
- वो छह फुटा मदारी
- नहीं रोक पाई बच्चों को
- नगर की जनता सारी।
- बिगड़ गयी हैम्लिन की जनता
- पहुंची राजा के द्वारे
- बोलीः तेरी बेईमानी से
- बच्चे गए हमारे।
- नहीं चाहिए ऐसा राजा
- करता जो मनमानी
- वादा करके झुठला देता
- ये कैसी बेईमानी।
- राजा से गद्दी छीनी
- दे डाला देश निकाला
- और हैम्लिन का राज पाट
- खुद जनता ने ही संभाला।
- नये राज ने मस्त मदारी
- को फौरन बुलवाया
- माफी मांगी और मुंहमांगा
- पुरस्कार दिलवाया।
- सारे बच्चे वापस पहूंचे
- अपने अपने घर पे
- पूरे शहर में खुशी मनी
- और दीये जले दर दर पे।
अच्छे बच्चे
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- हम बच्चे अच्छे स्कूल के,
- पक्के अपने हैं असूल के।
- हिल-मिलकर सब संग में पढ़ते हैं,
- दूरी रखते क्रूर से।
- कदम बढ़ाकर पथ पे चलेंगे,
- बुरे कर्म से सदा डरेंगे।>
- विजय पताका हम गाड़ेंगे,
- लोग देखेंगे दूर से।
- कटु वचन न हम बोलेंगे,
- सच की तराजू पर तौलेंगे।>
- थाल सजा के करेंगे पूजा,
- जलेंगे दीप कपूर के।
प्यारी तितली
- रंग-बिरंगी तितली आई।
- चंचल नैनों वाली तितली
- चमचम तारों जैसी छाई।
- काश हम भी तितली होते,
- हमारे भी रंग-बिरंगे पंख होते।
- हम भी आसमान पर छा जाते,
- हम भी फूलों पर मंडराते।
- तितली आई, तितली आई,
- रंग-बिरंगी तितली आई।
नटखट बच्चे
- हम है बच्चे,
- हे हम थोडे-से कच्चे।
- बोलने में हम सच्चे,
- लोग मानते हमे पक्के।
- पानी में हम खेलते है,
- धूप में भी हम खेलते है।
- तंग आकर माँ-बाप डाँटते है,
- पर हमे न किसी-का फिखर है।
- खेलना हमारा जिवन,
- शरारत ही हमारा कर्म।
- भोले-भाले है हम यार,
- तंग करने-से होता है प्यार।
- आपस में हम मिलकर रहते,
- खेलते-कुदते हँसते-हँसते।
- जब कोई हमे डराते,
- तब हम जोर-जोर से रोते।
अच्छे बच्चे
- कहना हमेशा बड़ो का मानते
- माता पिता को शीश नवाते,
- अपने गुरुजनों का मान बढ़ाते
- वे ही बच्चे अच्छे कहलाते।
- नहा-धोकर रोज शाला जाते
- पढ़ाई में सदा अव्वल आते
- वे ही बच्चे अच्छे कहलाते।
- कभी न किसी से झगड़ा करते
- बात हमेशा सच्ची कहते,
- ऊंच-नीच का भाव न लाते
- वे ही बच्चे अच्छे कहलाते।
- कठिनाइयों से कभी न घबराते
- हमेशा आगे ही बढ़ते जाते,
- मीठी बातों से सबका मन बहलाते
- वे ही बच्चे अच्छे कहलाते।
नाना जी
- नाना जी, ओ ना जी,
- कल फिर आना नाना जी!
- बड़ी भली लगती कानों को
- अजी छड़ी की ठक-ठक-ठक,
- और सुहाने किस्से जिनमें
- परियाँ, बौनों की बक-झक।
- बुन ना पाता कोई ऐसा
- ताना-बाना नाना जी!
- खूब झकाझक उजली टोपी
- लगती कितनी प्यारी है,
- ढीला कुर्ता, काली अचकन
- मन जिस पर बलिहारी है।
- नानी कहती-बचा यही एक
- चाव पुराना, नाना जी!
- रोती छुटकी खिल-खिल हँसती
- जब चुटकुले सुनाते आप,
- हँसकर उसे चिढ़ाते आप
- खुद ही मगर मनाते आप।
- कोई सीखे अजी, आपसे,
- बात बनाना, नाना जी!
- सांताक्लाज दंग रह जाए
- ऐसे हैं उपहार आपके,
- सरपट-सरपट बढ़ते जाते
- किस्से अपरंपार आपके।
- सच बतलाओ, मिला कहीं से,
- छिपा खजाना नाना जी!
- नाना जी, ओ नाना जी,
- कल फिर आना नाना जी!
जोकर
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- सबका मन बहलाता जोकर,
- हँसता और हँसाता जोकर।
- झूम-झामकर यह आता है,
- नए करिश्मे दिखलाता है।
- उछल बाँस पर चढ़ जाता है,
- हाथ छोड़कर लहराता है।
- सिर के बल यह चल सकता है,
- आग हाथ पर मल सकता है।
- जलती हुई आग की लपटें,
- उछल, पार करता यह झट से।
- अगले पल फिर हल्ला-गुल्ला,
- गाल फुलाता ज्यों रसगुल्ला।
- ढीला-ढाला खूब पजामा,
- लगता है यह सचमुच गामा।
- फुलझड़ियों-सी हैं मुसकानें,
- फूलों-जैसे इसके गाने।
- हरदम हँसता यह मस्ताना,
- खुशियों का है भरा खजाना!
सारे गामा
- मेढक मामा, मेढक मामा,
- क्यों करते हो जी हंगामा?
- टर्र-टर्र की सुनकर तान,
- फूट गए अपने तो कान!
- छोड़ो भी यह गाल फुलाना,
- दिन भर राग बेसुरा गाना,
- बात हमारी मानो, मामा,
- पहले सीखो सारेगामा!
भालू दादा
- पहन लिया क्या नया लबादा,
- काले-काले भालू दादा?
- ठुमक-ठुमककर पाँव बढ़ाते
- खूब झटककर लंबे बाल,
- दिखा रहे हैं कितनी बढ़िया
- लाला झुमरूमल की चाल।
- फिल्मी अभिनय जब दिखलाते,
- गर्दन तब मटकाते ज्यादा!
- कभी-कभी टीचर बन जाते
- खूब बड़ा-सा लेकर डंडा,
- हँसकर नमस्कार कर दो तो
- सारा गुस्सा होता ठंडा।
- घेरे खड़े अभी तक बच्चे-
- फिर आओगे, पक्का वादा?
कुक्कू जी ने मेला देखा
- कुक्कू जी थे खूब रंग में,
- कुक्कू जी ने मेला देखा!
- मेले में देखी एक गुड़िया
- टोप लगाए गुड्डा देखा,
- ढाई मन की धोबन देखी
- हा-हा हँसता बुड्ढा देखा।
- बड़ी भीड़ थी, धक्कम-धक्का,
- झंझट और झमेला देखा!
- गरम इमरती खूब उड़ाईं
- जी भर करके लड्डू खाए,
- फिर दौड़े झटपट अनार के
- चूरन की एक पुड़िया लाए।
- घुँघरू बाँधे ठुन-ठुन करता,
- जलजीरे का ठेला देखा।
- मोटे हाथी पर बैठे थे
- एक मोटे-ताजे लाला जी,
- हँसकर बोले-आओ-आओ,
- कुक्कू ने तो बस, टाला जी।
- शीशमहल में नाटी-तिरछी,
- शक्लों का एक रेला देखा।
- एक जगह बंदूक और थे
- टँगे हुए ढेरों गुब्बारे,
- कुक्कू जी ने लगा निशाना
- फोड़ दिए सारे के सारे।
- ले इाम आए दंगल में-
- किंगकौंग का चेला देखा।
सड़क
- कहाँ-कहाँ से आतीं सड़कें
- और कहाँ को जाती हैं,
- दौड़-दौड़कर जाती हैं ये
- दौड़-दौड़कर आती हैं।
- पर शायद यह सही नहीं है
- सड़क वहीं पर रहती है,
- दौड़ा तो करते हैं हम-तुम
- सड़क सभी कुछ सहती है।
- बोलो-बोलो, सड़क, तुम्हारी
- छाती पर है बोझा कितना?
- समझ न पाओगे तुम भैया-
- बोझा है छाती पर इतना!
- इतना बोझा ढोकर भी मैं
- आह नहीं, पर करती हूँ,
- मेरा तप बस यही-यही है-
- सोच, सभी कुछ सहती हूँ।
- मैं बोल-ओ सड़क, तुम्हारी
- कठिन तपस्या भारी है,
- तुमसे ही जीवन में गति है
- जग इसका आभारी है!
- बोली सडत्रक-याद यह रखना
- नहीं रौंदना मुझको तुम,
- नहीं तोड़ना, नहीं फोड़ना
- तब जी लेंगे मिल हम-तुम!
- तब से भाई, जान गया हूँ
- बड़े काम की चीज सड़क है,
- जो इस पर कूड़ा फैलाते
- उनसे होती मुझे रड़क है!
मेढक मामा
- मेढक मामा
- मेढक मामा,
- खेल रहे क्यों पानी में,
- पड़ जाना
- बीमार कहीं मत
- वर्षा की मनमानी में।
- मेढक मामा
- मेढक मामा,
- नभ में बादल छाए हैं,
- इसीलिए क्या
- टर्र-टर्र के
- स्वागत-गीत सुनाए हैं।
- मेढक मामा,
- उछलो-कूदो
- बड़े गजब की चाल है,
- हँसते-हँसते
- मछली जी का
- हाल हुआ बेहाल है!
- मेढक मामा,
- सच बतलाओ,
- कब तक बोंबे जाओगे,
- बढ़िया
- रेनी कोट सिलाओ,
- फिर हीरो बन जाओगे!
टीपूलाल
- टीपूलाल, टिपोलीलाल,
- भैया, यह कैसा है हाल!
- उड़े-उड़े से तुम रहते हो,
- कुछ गुमसुम-गुमसुम रहते हो।
- टीपू जी, अब थोड़ा पढ़ लो,
- वहीं खड़े हो, थोड़ा बढ़ लो।
- टीप-टीपकर क्या होना है,
- रोना-आखिर में रोना है।
- टीपूलाल, टिपोलीलाल,
- भैया, कितना टीपा माल!
- जो टीपा था, काम न आया,
- इसीलिए क्या मन झल्लाया?
- जीरो, जीरो, सबमें जीरो,
- भैय, तुम हो कैसे हीरो!
- साइंस, हिस्ट्री या भूगोल
- सबमें ही बस डब्बा गोल!
- इसीलिए क्या ऐंची-बेंची,
- शक्ल तुम्हारी है उल्लू-सी।
- टीपू जी, अब बात न करते,
- खुद से ही क्यों इतना डरते,
- टीपूलाल, टिपोलीलाल,
- भैया, क्यों उखड़ी है चाल?
- इससे तो अच्छा है पढ़ लो,
- थोड़ा भाई, आगे बढ़ लो।
- पढ़ो-लिखो तो मिले बड़ाई
- नकल किसी के काम न आई
- सीखो भाई, अच्छी बात,
- तो दिन में ना होगी रात।
- टीपूलाल, टिपोलीलाल,
- नकल टिपाई को दो टाल।
- तब बदलेंगे सचमुच हाल,
- वरना नहीं गलेगी दाल।
- टीपूलाल, टिपोलीलाल,
- भैया, क्यों उखड़ी है चाल,
- ऐसी क्यों उखड़ी है चाल!
पानी का मौसम
- फिर आया पानी का मौसम।
- तेज फुहारों में इठलाएँ
- जी भर भीगें, खूब नहाएँ,
- पानी में फिर नाव चलाएँ-
- आया शैतानी का मौसम!
- ठंडी-ठंडी चली हवाएँ
- छेड़ें किस्से, मधुर कथाएँ,
- कानों में रस घोल रहा है-
- कथा-कहानी का मौसम!
- अंबर ने धरती को सींचा
- हरी घास का बिछा गलीचा,
- कुहू-कुहू के संग आ पहुँचा-
- कोयल रानी का मौसम!
- जामुन, आम, पपीते मीठे
- खरबूजे लाया मिसरी से,
- गरम पकौड़े, चाय-समोसे-
- संग-संग गुड़धानी का मौसम!
- छतरी लेकर सैर करें अब
- मन में फिर से जोश भरें अब,
- लहर-लहर लहरों से खेलें-
- आया मनमानी का मौसम
लाला जी की तोंद
- लाला जी की प्यारी तोंद,
- ढाई मन यह भारी तोंद!
- इसमें, पिस्ता-दूध-मलाई
- खोया, बरफी, बालूशाही,
- आम, पपीते औ’ अंगूर
- मन भर लड्डू मोतीचूर।
- खाते-खाते थक्कर भाई,
- हिम्मत कभी न हारी तोंद!
- मालिश इस पर करते लाला,
- तेल पिलाकर इसको पाला,
- आगे गोल, पीछे गोल-
- तोंद बनी लाला की पोल।
- पीछे-पीछे लाला चलते-
- आगे सजी-सँवारी तोंद!
- हर दिन कपड़े छोटे होते
- लाला जी तब बरबस रोते,
- भीड़-भाड़ मंे चलते डरकर
- हाथ लगा, जा गिरे सड़क पर।
- सचमुच, आफत हो जाती यदि-
- होती कभी हमारी तोंद
पंपापुर जाना है
- पंपापुर जाना है हमको
- पंपापुर जाना है,
- पंपापुर जाकर मस्ती का
- रंग जमाना है!…
- पंपापुर जाना है!
- पंपापुर जिसमें बच्चों की
- इक दुनिया है प्यारी,
- खेलकूद, सर्कस, मेलों में
- खुशियाँ बिखरीं सारी।
- पंपापुर में अलग सभी से
- रंग, रंग, बस रंग,
- पंपापुर में है जीने का
- एक नया ही ढंग।
- पंपापुर में तो सपनों का
- ताना-बाना है,
- पंपापुर से अजी हमारा
- प्यार पुराना है।
- भूल गए हम पंपापुर को
- पंपापुर भी भूला,
- पर पंपापुर जाना है अब
- पंपापुर जाना है!
- पंपापुर जाकर फूलों से
- थोड़ा हम खेलेंगे,
- नाचेंगे हम झूम-झूमकर
- हाथ-हाथ में लेंगे।
- पंपापुर में नाटक-कविता
- या प्यारी कव्वाली,
- पंपापुर में रोज मनेगी
- हाँ, अपनी दीवाली!
- चलो-चलो जी, आज चलेगा
- नहीं बहाना है,
- नहीं वहाँ कुछ भी खोना है
- सब कुछ बस पाना है!
- पंपापुर जाना है-
- हमको पंपापुर जाना है!
- पंपापुर में खेल-कूद की
- है सबको आजादी
- किस्से खूब सुनाया करती
- थी कल तक यह दादी।
- पंपापुर में खुशी-खुशी,
- हर बच्चा नाच दिखाए,
- पंपापुर में फूल-फूल, हर तितली
- सुर में गाए!
- गाना है-गाते-गाते ही
- पंपापुर जाना है,
- पंपापुर में बच्चों का
- एक देश बसाना है।
- पंपापुर…पंपापुर…मन में,
- एक तराना है!
- पंपापुर जाना है
- हमको पंपापुर जाना है।
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