- जन्म-20 जनवरी, 1775
- जन्म स्थान-फ्रांस
- निधन-10 जून, 1836
एम्पियर(André-Marie Ampère)ने एक अद्भुत सत्य सिद्ध कर दिखाया कि चुम्बक-शक्ति लोहे के.बिना, चुम्बक के बिना सिर्फ बिजली के जरिए भी पैदा की जा सकती है। विद्युत की धारा के आस-पास कुछ वैसा ही क्षेत्र बन जाता है जैसा एक चुम्बक के इर्द-गिर्द बनता हो। उनके सम्मान में विद्युतधारा की इकाई को एम्पियर कहा गया।
आन्द्रे मारिए एम्पियर का जन्म -Biography of André-Marie Ampère in hindi
एम्पियर का जन्म फ्रांस में लिओन्स के एक कस्बे में 1775 में हुआ था। पिता सन के व्यापारी होने के साथ-साथ स्वाध्ययन में भी रुचि रखते थे। लैटिन और ग्रीक के क्लासिक साहित्य में स्वयं उन्होंने एम्पियर को प्रथम दीक्षा दी।
उनकी इच्छा थी कि उनका पुत्र साहित्य विशारद बने। किंतु शुरू से ही एम्पियर के लक्षण एक गणितज्ञ बनने के ही थे। बड़ी ही छोटी उम्र में आन्द्रे गणित की समस्याओं का समाधान कंकड़-पत्थर जोड़कर ही कर लिया करता था।
11 वर्ष का होते-होते वह लैटिन भाषा में प्रवीण हो चुका था, और कैलक्युलस में भी उसकी समझ काफी बढ़ चुकी थी। 18 वर्ष की उम्र में एम्पियर को एक गहरा धक्का लगा। उन दिनों फ्रांस में क्रांति जोरों पर थी। इसी क्रांति के नाम पर हजारों निर्दोष फांसी पर चढ़ा दिए गए। आन्द्रो की आंखों के सामने ही उनके पिता का कत्ल कर दिया गया।
पिता का साया सिर से उठ चुका था और व्यापार क्रांति में उजड़ चुका था। बाप के कत्ल का धक्का जब कुछ शान्त होने लगा, तब आन्द्रे(Biography of André-Marie Ampère in hindi) की समझ में आया कि जिन्दा रहने के लिए कुछ कमाना भी पड़ता है। इसलिए एम्पियर ने अपनी पढ़ाई के साथ ही गुजर के लिए गणित में, भाषाओं में, विज्ञान में बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया।
इसी दौरान उनकी जिंदगी में न्यूलिए कैरो नाम की एक खूबसूरत लड़की आई। आन्द्रे ने उससे शादी कर ली। एक वर्ष के बाद 1800 में इस सुखी युगल के घर जिएं जैक्वीस एम्पियर नाम के बालक का जन्म हुआ जो आगे चलकर फ्रेंच एकेडमी का सदस्य, एक प्रसिद्ध इतिहासकार और उच्चकोटि का साहित्यकार भी हुआ।
किंतु व्यक्तिगत जीवन का यह सुख शायद आन्द्रे के लिए बहुत दिनों का नहीं था। 1804 में उनकी प्रिय पत्नी का देहांत हो गया, जिसके धक्के से बच निकलने के लिए उन्होंने खुद को वैज्ञानिक अनुसंधान में व्यस्त कर लिया।
आन्द्रे मारिए एम्पियर का विज्ञान के क्षेत्र मे योगदान-andré-marie ampère inventions hindi
विज्ञान और गणित के क्षेत्र के विद्वान अब एम्पियर(about ampère)की ओर आकर्षित होने लगे थे और उनके इस आकर्षण का आधार एम्पियर का लिखा मात्र एक लेख ही था।
बड़े लम्बे समय से गणितज्ञों के सामने एक समस्या थी। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि कुछ खेलों में जो नतीजे नियमानुसार स्पष्ट नजर आ रहे होते हैं वे अंत तक पहुंचते-पहुंचते न जाने कैसे गायब हो जाते हैं
और एम्पियर(ampère invention)ने इस बात को अपने एक लेख में गणित के एक सूत्र में बद्ध कर दिया कि हमारी इन लीलाओं में भाग्य कैसे और कब घुस आता है। जिएं देलांब्रे और यूसफ ललान्दे फ्रांस के माने हुए दो गणितज्ञ और नक्षत्रविज्ञानी थे, जो एम्पियर(ampère discovery in hindi)की प्रस्तुत स्थापना से बहुत ही प्रभावित हुए।
दोनों ने उनकी सिफारिश लिओन्स के सैकण्डरी स्कूल में गणित और नक्षत्रशास्त्र पढ़ाने के लिए कर दी। वह दो साल यहां रहे और उसके बाद 1805 में पालिटेक्निक स्कूल में उनकी नियुक्ति हुई।
आन्द्रे मारिए एम्पियर(ampère inventions hindi) इंजीनियरिंग के प्राध्यापक बनकर चले आए। 1809 में इसी संस्था में गणित और मैकेनिक्स विभाग का उन्हें अध्यक्ष बना दिया गया। उन्होंने कई लेखक इस दौरान लिखे, जो लेख उनके छपते रहे उनके विषय बहुत ही व्यापक थे—’कैल्क्युलस आफ कैमिस्ट्री’, ‘नेत्रविज्ञान’, ‘प्राणी-विज्ञान’ आदि।
और इन्हीं प्रकाशित निबंधों के आधार पर उन्हें ‘इंस्टीट्यूट आफ आर्ट्स एंड साइन्सेज’ का सदस्य भी चुन लिया गया। इस दौरान एम्पियर ने सिद्ध कर दिखाया कि चुम्बक-शक्ति लोहे के बिना, चुम्बक के बिना सिर्फ बिजली के जरिए भी पैदा की जा सकती है।
विद्युत की धारा के आसपास भी कुछ वैसा ही क्षेत्र बन जाता है जैसाकि एक चुम्बक के गिर्द हम आमतौर पर देखते हैं। चुम्बक-शक्ति तथा विद्युत के सम्बंध में एम्पियर का प्रसिद्ध निबंध 1823 में प्रकाशित हुआ।
विज्ञान जगत एम्पियर(Biography of André-Marie Ampère in hindi) के इस वर्णन से बहुत प्रभावित हुआ तथा इस महान वैज्ञानिक को सम्मान देते हुए विद्युत धारा की इकाई को एम्पियर का ही नाम दे दिया गया।
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