Amla Navami 2023-अम्ला नवमी या अक्षय नवमी, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है।
अम्ला नवमी से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने एक बार अपनी पत्नी लक्ष्मी जी से पूछा कि वे क्या चाहती हैं। लक्ष्मी जी ने कहा कि वे सदा अपने पति विष्णु के साथ रहना चाहती हैं।
भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी को आश्वस्त किया कि वे हमेशा उनके साथ रहेंगी। इसके बाद विष्णु जी ने समुद्र मंथन किया और उसमें से अमृत कलश निकाला। यही अमृत कलश लक्ष्मी जी को प्राप्त हुआ और इस दिन को अम्ला नवमी के रूप में मनाया जाने लगा।
एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने अपनी भक्त वृंदा से कहा था कि वे चाहें तो उनसे कोई भी वरदान मांग सकती हैं। वृंदा ने अमृत का कलश मांगा था। भगवान विष्णु ने अमृत कलश वृंदा को प्रदान किया था और उसी दिन को अम्ला नवमी के रूप में मनाया जाता है।
अम्ला यानी आंवला, समृद्धि और भरपूरी का प्रतीक माना जाता है। अम्ला नवमी पर अम्ला के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। यह मान्यता है कि अम्ला के पेड़ की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है।
एक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु को जब अमृत-कलश मिला था, तो उसकी एक बूंद पृथ्वी पर आंवले के पेड़ पर गिरी थी। इसीलिए आंवले के पेड़ को भगवान विष्णु से जुड़ा माना जाता है और अम्ला नवमी पर इसकी पूजा की जाती है।
कुछ लोग तो अम्ला नवमी पर घर में आंवले का पौधा लगाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह सौभाग्य और समृद्धि लाता है।
दोस्तों आंवला नवमी इस बार 21 नवंबर को को मनाया जाएगा. इस पूजा का शुभारंभ सुबह 6:48 से शुरू होकर दोपहर के 12:07 बजे तक रहेगा. अगर शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो 11:46 से शुरू होकर 12:28 तक है.
अतः अम्ला नवमी का पावन दिन मनाने के लिए उपरोक्त शुभ मुहूर्त और तिथि का ध्यान रखना चाहिए।
अम्ला नवमी पर पूजा के लिए निम्न सामग्री की आवश्यकता होती है:
- भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की मूर्ति
- कलश
- अम्ला की डाली या फल
- दीपक
- धूप-बत्ती
- फूल और मालाएं
- चंदन, अगरबत्ती और लोबान
- पानी और दूध से भरा कलश
- विष्णु जी और लक्ष्मी जी को प्रिय फल जैसे – नारियल, बेलपत्र इत्यादि।
- हलदी, कुमकुम और चावल के दाने
इन सभी सामग्रियों की पूजन सामग्री के रूप में आवश्यकता होती है।
अम्ला नवमी के दिन निम्न पूजा विधि का अनुसरण किया जाना चाहिए:
- सबसे पहले स्नान-ध्यान करके शुद्ध होकर पूजा के लिए तैयार हों।
- फिर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की स्वच्छ वस्त्रों से सजी हुई मूर्तियों की स्थापना करें।
- कलश स्थापित करके उसमें पानी भरें और मूर्ति के सामने रखें।
- अब दीपक जलाएं और लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति के सामने झुक कर प्रार्थना करें।
- फल, फूल, चावल, सुपारी आदि से भगवान की पूजा करें।
- अंत में आरती करके प्रसाद का वितरण करें।
इस प्रकार भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी से कृपा और आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
अम्ला नवमी के दिन इन बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए:
- भगवान विष्णु को तुलसी के पौधे अर्पित करने चाहिए।
- घर में अम्ला का पौधा अवश्य लगाएँ क्योंकि यह सौभाग्य लाता है।
- व्रत रखकर भक्ति गान और कथा-वाचन करना चाहिए।
- इस दिन चन्दन की माला धारण करने की परंपरा है।
- दान, पुण्य और धार्मिक कार्यों में भाग लें। यह सब कुछ अक्षय यानी सदा बना रहता है।
इस प्रकार अम्ला नवमी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना करके हम उनके आशीष की प्राप्ति कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति तथा समृद्धि ला सकते हैं।