LED का FULL FORM-” Liquid crystal display”
LED का FULL FORM क्या है।
दोस्तों LED का नाम आपने जरूर कहीं ना कहीं सुना होगा। क्या आपको पता है इस का फुल फॉर्म क्या होता है। अगर नहीं पता तो आपकी जानकारी के लिए बता दें। LED का full form ” liquid crystal display” है। यह एक चपटी पैनल वाली डिस्प्ले होती है। जो semiconductor के सिद्धांत पर कार्य करती हैं।
liquid crystal यानी लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले की खोज 1988 में हुई थी। LED इसी का एक एडवांस version है। जो छोटे-छोटे लिक्विड क्रिस्टल से मिलकर बना होता है। यह छोटे-छोटे क्रिस्टल रंगों को संयोजित कर फोटो और वीडियोस का रूप दे देते हैं।
LED कैसे काम करता है।
प्रकाश-उत्सर्जक डायोड (Light-Emitting Diode, LED) प्रकाश-उत्सर्जक डायोड एक उच्च अपमिश्रित (highly doped) p-n जंक्शन डायोड है जो किसी अर्द्धचालक, जैसे गैलियम आर्सेनाइड या इंडियम फॉस्फाइड से बना होता है। यह एक पारदर्शक आवरण से ढंका होता है ताकि इससे उत्सर्जित प्रकाश बाहर आ सके। इसकी अग्र-अभिनति अवस्था में फोटॉन का स्वतः उत्सर्जन (spontaneous emission) होता है।
जब डायोड को अग्र अभिनति (forward bias) की अवस्था में रखा जाता है, तब इलेक्ट्रॉन की गति n से p भाग की ओर होती है (जिसमें इलेक्ट्रॉन अल्पसंख्यक आवेश वाहक होते हैं) तथा होल की गति p से n भाग की ओर होती है (जहाँ होल अल्पसंख्यक आवेश वाहक होते हैं)। जंक्शन की सीमा (boundary) पर इन अल्पसंख्यक आवेश वाहकों की सांद्रता (concentration) बढ़ जाती है।
सांद्रता का यह मान साम्य सांद्रता (equilibrium concentration) अर्थात अभिनति (bias) की अनुपस्थिति में सांद्रता की अपेक्षा अधिक होता है। स्पष्टतः, जंक्शन के दोनों ओर इन अतिरिक्त (excess) अल्पसंख्यक आवेशों का बहुसंख्यक आवेश वाहकों के साथ पुनर्संयोजन (recombination) होता है, फलतः फोटॉन के रूप में ऊर्जा उत्सर्जित होती है।
इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा की स्थिति से निम्न ऊर्जा की स्थिति में आता है, इसलिए ऊर्जा उत्सर्जित होती है। यदि डायोड गैलियम आर्सेनाइड या इंडियम फॉस्फाइड का बना हो, तो लगभग पूरी ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा के रूप में उत्सर्जित होती है। उत्सर्जित फोटॉन की यह ऊर्जा लगभग बैंड अंतराल
(band gap) E, के बराबर होती है। जब डायोड से प्रवाहित अग्र धारा (forward current) कम होती है तब उत्सर्जित प्रकाश की तीव्रता भी कम होती है।
अग्र धारा के बढ़ने के साथ-साथ उत्सर्जित प्रकाश की तीव्रता भी बढ़ती जाती है और अंततः एक महत्तम मान प्राप्त करती है। अग्र धारा को और बढ़ाने पर तीव्रता घटने लगती है। LED को इस प्रकार अभिनत किया जाता है कि इसकी प्रकाश-उत्सर्जन दक्षता (light-emitting efficiency) महत्तम हो।
LED के फायदे
•LED को जलाने के लिए बहुत ही कम वोल्टेज और करंट की आवश्यकता पड़ती है।
• इसका response time बहुत ही कम होता है लगभग 10 मिली सेकंड के करीब जोकि बहुत अच्छा है।
• इनका साइज बहुत ही छोटा होता है।
• एक बार बन जाने के बाद इनका जीवन काल लगभग 20 साल से भी अधिक होता है।
Solar cell क्या है।
सौर सेल एक p-n जंक्शन डायोड है जो सौर ऊर्जा को सीधे विद्युत-ऊर्जा में रूपांतरित करता है। यह प्रकाश -विद्युत प्रभाव (photoelectric effect) के सिद्धांत पर आधारित होता है। डायोड के दोनों में से एक भाग (p या n) को काफी पतला बनाया जाता है जिससे कि आपतित सौर विकिरण का अवशोषण नहीं के बराबर हो। सौर प्रकाश ऊपरी सतह से कुछ ही नीचे की दूरी पर जहाँ p-n जंक्शन है, लगभग पूरा आपतित सौर प्रकाश अवशोषित हो जाता है।
प्रकाश का प्रत्येक अवशोषित फोटॉन एक इलेक्ट्रॉन और एक छिद्र (होल) उत्पन्न करता है। वास्तव में संयोजकता (valance band) का एक इलेक्ट्रॉन फोटॉन की ऊर्जा प्राप्त कर चालन पट्टी (conduction band) में पहुँच जाता है जिससे संयोजकता पट्टी में एक छिद्र (होल) उत्पन्न हो जाता है।
इस प्रक्रिया में उत्पन्न विद्युत-क्षेत्र (electric field) इलेक्ट्रॉन को n-क्षेत्र की ओर और छिद्र (होल) को p-क्षेत्र की ओर ले जाता है। अतः, जंक्शन के दोनों सतहों पर विपरीत आवेश उत्पन्न होते हैं और उन सतहों के बीच एक विद्युत-वाहक बल स्थापित हो जाता है। यह विद्युत-वाहक बल बाह्य परिपथ में विद्युत-धारा स्थापित करता है।
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