यह कैंसर उपचार की एक उन्नत तकनीक है। इसमें रेडियोधर्मी स्रोत को ट्यूमर के भीतर या उसके पास रखा जाता है।जिससे आस-पास के स्वस्थ ऊतकों में विकिरण जोखिम को कम करते हुए ट्यूमर को उच्च विकिरण खुराक दी जाती है।
इस प्रक्रिया में, पतले कैथेटर को पहले ट्यूमर में रखा जाता है और फिर एक उच्च-खुराक दर (एच.डी.आर.) आटर-लोडर से जोड़ा जाता है। इसमें एक तार के अंत में एक अत्यधिक रेडियोधर्मी इरिडियम की गुटिका होती है कंप्यूटर नियंत्रण द्वारा गुटिका को एक-एक करके सभी कैथेटर में धकेला जाता है। कंप्यूटर नियंत्रित करता है कि गुटिका प्रत्येक कैथेटर में कितनी देर (समय) तक रह सकती है, और कैथेटर में कहाँ कहाँ रुक कर (स्थिति) विकिरण को देना चाहिए।
ट्यूमर में अच्छी तरह से रखे कुछ कैथेटर के साथ, एच.डी.आर. ब्रैकी थेरेपी एक बहुत ही सटीक उपचार प्रदान कर सकता है, और इसमें केवल कुछ मिनट ही लगते हैं।
उपचार की एक श्रृंखला के बाद, कैथेटर हटा दिए जाते हैं, और शरीर में कोई रेडियोधर्मी स्रोत छोड़ा नहीं जाता है। प्रोस्टेट, स्तन, फेफड़े, गर्भाशय, ग्रीवा, सिर और गर्दन के कैंसर का इलाज ब्रैकी थेरेपी तकनीकों का उपयोग करके किया जाता है। विकिरण एवं आइसोटोप प्रौद्योगिकी बोर्ड
कैंसर के इलाज के लिए इरिडियम-192 और सीज़ियम-137 जैसे ब्रैकी थेरेपी स्रोतों की आपूर्ति करता है।