अम्लीय वर्षा (Acid rain)-जब वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2,) तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2,) की मात्रा बढ़ जाती है, तो ये वर्षा के जल में घुलकर क्रमशः सल्फ्यूरिक अम्ल (Sulphuric acid-H2,SO4.) और नाइट्रिक अम्ल (nitric acid-HNO3,) बन जाती हैं।
यह अम्लीय जल जब वर्षा के रूप में पृथ्वी पर पहुँचता है तो इसे अम्लीय वर्षा(acid rain) कहा जाता है। अम्लीय वर्षा से निम्नलिखित हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं-
- यह मिट्टी को अम्लीय बना देती है, जिससे उसकी उर्वरता (fertility) जाती है।
- जलाशयों के पानी के अम्लीय हो जाने के कारण बहुत-से जलीय जंतु एवं पौधे मर जाते हैं।
- अम्लीय वर्षा जंगलों के विनाश का एक कारण है।
- पेयजल के अम्लीय हो जाने से मनुष्य के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ सकता है।
- अम्लीय वर्षा के कारण धातु तथा लकड़ी की बनी वस्तुएँ, इमारतें, प्रतिमाएँ (statues),ऐतिहासिक वस्तुएँ आदि रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा क्षीण (corrode) या नष्ट हो जाती हैं।
वैश्विक ऊष्मीकरण (Greenhouse Effect)
Carbon dioxide, मेथेन और अमोनिया जैसी गैस की मात्रा वायु मे अधिक होने के कारण वैश्विक ऊष्मीकरण या ग्रीन-हॉउस इफ़ेक्ट हो रहा है।अधिक मात्रा में उपस्थित CO2, पृथ्वी के चारों ओर एक आवरण बना लेती है, जो सूर्य के प्रकाश से धरती पर आई हुई ऊष्मा को वापस अंतरिक्ष में जाने से रोकता है। फलस्वरूप पृथ्वी का तापक्रम धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
पृथ्वी के तापक्रम बढ़ने के कारण हमारी हिमराशियों (glaciers) एवं ध्रुवों की बर्फ के पिघलने तथा समुद्र के जलस्तर के बढ़ जाने का खतरा है। अगर ऐसा हुआ तो हमारी पृथ्वी के बहुत-से स्थलीय भाग पानी में डूब जाएंगे। इस संपूर्ण क्रिया को ही ग्रीनहाउस इफेक्ट कहते हैं।
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