उत्सर्जन(Excretion) का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning & Definition)—
प्रत्येक जीवित प्राणी का यह लक्षण है कि उसमें उपापचय (Metabolism) की क्रिया होती है। उपापचय की क्रिया मुख्यतः दो प्रकार की होती है। प्रथम क्रिया उपचय (Anabolism) है
इसे निर्माण को क्रिया भी कहते हैं। इसके फलस्वरूप उपयोगी पदार्थ बनते हैं। दूसरी क्रिया को अपचय (Catabolism) कहते हैं। इसे विघटन की क्रिया भी कहते हैं। अपचय क्रिया केफलस्वरूप शरीर में एकत्रित जटिल यौगिकों का विघटन होता है जिसके फलस्वरूप ऊर्जा उत्पन्न होती है और कुछ अपशिष्ट पदार्थ शेष रह जाते हैं । यह अपशिष्ट पदार्थ (Waste products) व्यर्थ होने के साथ-साथ हानिकारक या विषाक्त (Poisonous) भी होते हैं जो जीवित कोशिका के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं।
इन पदार्थों का शरीर में अधिक समय तक रहने पर उपापचय की क्रियाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और विभिन्न रोग भी हो सकते हैं। अतः इन अपशिष्ट या वर्ण्य पदार्थ (Wast Product) का शरीर से बाहर निष्कासन आवश्यक है। अतः “शरीर कोशिकाओं से वर्ण्य (waste) या विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने की क्रियाविधि को उत्सर्जन (Excretion) कहते हैं।” और वे अंग जो उत्सर्जन की क्रिया में भाग लेते हैं या सहायता पहुँचाते हैं ऐसे अंगों को उत्सर्जी अंग (Excretory organs) कहते हैं।
उत्सर्जी पदार्थ की कुछ मात्रा विभिन्न उपापचयी प्रक्रमों के लिए आवश्यक है। जैसे कार्बन डाई आक्साइड की अधिकता शरीर के लिए विष का कार्य करती हैं लेकिन इसकी कुछ मात्रा श्वसन को व्यवस्थित करने के लिए भी आवश्यक है। इसी प्रकार शरीर में जल की अधिकता भी हानिकारक होती है, परन्तु विभिन्न उपापचयी (Metabolism) प्रक्रमों हेतु शरीर जल की एक निश्चित मात्रा अनिवार्य है।
इस प्रकार उत्सर्जन का कार्य कोशिका के लिए स्थायी आन्तरिक वातावरण को बनाये रखना है, जिसमें पदार्थों की हानिकारक मात्रा को शरीर से बाहर निष्कासित कर दे, किन्तु उसकी न्यूनतम मात्रा को बनाये रखे, जो शरीर में जैविक कार्यों के लिए आवश्यक है।
शरीर में भोज्य पदार्थों के पाचन के फलस्वरूप कार्बोहाइड्रेट और वसा, अपचय क्रिया द्वारा जल तथा कार्बन डाई आक्साइड जैसे अपशिष्ट पदार्थ के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। इनका शरीर से निष्कासन मल-मूत्र, पसीना तथा उच्छ्वास (Expiration) द्वारा आसानी से होता है। लेकिन प्रोटीन जो प्रोटीन अपचयन (Protein catabolism) द्वारा जटिल नाइट्रोजनी अवशिष्ट पदार्थ (Complex Nitogenous waste product) बनाता है, का शरीर से निष्कासन आसानी से नहीं होता है। नाइट्रोजनी पदार्थों का शरीर से निष्कासन जटिल रासायनिक प्रकियाओं द्वारा शरीर के विशेष उत्सर्जी अंगों द्वारा ही सम्भव होता है।
उत्सर्जन एवं मलत्याग-(Excretion and Defaecation)—
मलत्याग में भोजन के पाचन (Digestion)के बाद बचे अपच (Undigested) भोजन को विष्ठा (Faeces) के रूप में आहारनाल के अन्तिम भाग गुदा या अवस्कर द्वार (Anus or Cloaca) द्वारा बाहर निकाल दिया जाता अपचित भोजन कभी भी शरीर की किसी कोशिका में प्रवेश नहीं करता तथा वह किसी भी उपापचय प्रक्रम (Metabolic Process) में भाग नहीं लेता। अत: यह उपापचय-अपशिष्ट पदार्थ उपापचय के फलस्वरूप बना अपशिष्ट पदार्थ नहीं होता।
मल त्याग के लिए शरीर में विशिष्ट अंग भी नहीं पाये जाते हैं। मल त्याग अधिकतर अर्ध ठोस रूप में होता है। उत्सर्जन में इन अपशिष्ट पदार्थों (Waste Products) का जो शरीर के लिए अनुपयुक्त होते हैं, रक्तपरिसंचरण (Blood Circulation) एवं कोशिकाओं में से निष्कासन होता है।
वृक्क (Kidney) द्वारा इन अपशिष्ट पदार्थों के निष्कासन में वृक्क-कोशिकाओं द्वारा ऊर्जा उपमुक्त होती है, किन्तु मलत्याग में आंत्रीय कोशिकाओं द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं होता। मलत्याग तथा उत्सर्जन दोनों एक दूसरे से पहन प्रक्रिया हैं।
यह article “Excretion का हिंदी अर्थ एवं परिभाषा (Excretion meaning in hindi)“पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।