दुनिया मे कई लोगो का मानना है कि इस ज़िन्दगी के बाद कोई और भी ज़िन्दगी है ये सोच वैसे तो निकली है धर्म कि मान्यता से लेकिन हाल ही मे इसे एक वैज्ञानिक backup भी मिला था. जर्मनी मे कुछ साल पहले इस पर थोड़ा research किया गया. इस research मे कुछ अजीब सी चीजे discover कि गयी थी. Research के लिए कुछ मरीजों पर ध्यान रखा गया जब वो कोमा मे थे. उनके दिमाग मे पुरी तरह consciousness नही था. इन्होने कुछ ऐसे experience describe किये. जो बड़े ही विचित्र थे. जिसे बाद मे NDE (near death experience )कहा गया.
ये experience इशारा कर रहे थे ज़िन्दगी के बाद कि life कि study के अनुसार 50% लोगो ने अपने NDE experience मे बताया कि इन्हे पहले से ही पता चल चूका था कि ये मर चुके है. 56% लोगो लिए ये खुशी से भरा अनुभव था. 24%लोगो ने out of body का experience किया. यानि कि वो अपने ही शरीर से बाहर आकर अपने ही body को ऊपर से देख पा रहे थे ओर 32% लोगो ने किसी मरे हुए इंसान से बात कि उसके बाद कई मरीजों को दूर से आती हुयी रौशनी दिखी. कभी उनके पूर्वज दिखे तो कभी उन्हें अचानक से खुशी महसूस हुयी.
लेकिन यह study अपने आप मे पुरी नही थी. किसी भी चीज को सच मानने के लिए विज्ञान उसे अलग अलग जगहों मे अलग अलग लोगो से दोहराता है. फिर इस study को वापस दोहराया गया UK, US ओर australia मे इस बार patients कि संख्या ज्यादा थी. ओर अलग अलग researchers इस पर काम कर रहे थे. Research मे पता चला कि मौत कोई घटना नही बल्कि एक प्रक्रिया है इस प्रक्रिया को सही treatment कि help से remove भी किया जा सकता है. इस research मे केवल 9% मरीजों ने ही NDE report किया. ओर बस 2% लोगो ने ही out of body experience किया. Scientists ने यह खोज किया कि मौत के करीब हमारे दिमाग मे oxygen कि कमी कि वजह से दिमागी प्रक्रिया तेज हो जाती है. ओर इस वजह से हम बहुत ही अजीब चीजों का अनुभव करते है. मरते वक़्त यह पाया गए कि हमारा दिमाग एक अलग ही stage मे चला जाता है. जहाँ हमारी इन्द्रियों से आती हुयी जानकार mixup हो जाती है. ओर हम एक तरह से illusion मे चले जाते है. क्युकी ये सब हमरे brain steam मे होता है इसीलिए बाकी brain के हिस्सों मे जान ना भी हो तो फिर भी हम इन्हे महसूस कर पायेंगे. इसके आलावा maximum लोगो द्वारा देखि गयी रोशनी का कारण operations table पर लगी चमकीली lights थी.
अब शरीर से बाहर आने के experience को test करने के लिए उनके शरीर से बाहर एक चिठ्ठी रखी गयी थी ताकि वह शरीर से बाहर निकल कर जब अपने आप को देखे तो वह चिट्ठी को रीड कर सके. Research से पता चला कि कोई भी उस चिठ्ठी को नही पढ़ पाया. इसके बाद कुछ ओर भी research किये गए हर result same ही आया.
विज्ञान के अनुसार क्या होता है. जब हम मर जाते है —-
मरते वक़्त जैसे ही हमारा दिल धड़कना बंद हो जता है ठीक उसके बाद से दिमाग को ऑक्सीजन मिलना बंद हो जता है कुछ देर बाद दिमाग बचा हुआ सभी ऑक्सीजन use कर लेता है फिर सारी दिमागी प्रक्रिया बंद होने लगती है. फिर दिमाग अनेक hormone released करना बंद कर देता है जिससे शरीर कि सभी कोशिका को instruction मिलना बंद हो जता है. जिस कारण सभी अंग काम करना बंद कर देते है. इसे हम post death process यहां शरीर के सारे muscle relax हो जाते है. क्युकी उनको ऑक्सीजन पहुँचना बंद हो जता है. इसलिए मरने के बाद अक्सर मरीज़ toilets कर देते है. Energy का उत्पादन नही होने के कारण शरीर धीरे धीरे रूम temperature पर आने लगता है धड़कन के बिना खून भी शरीर के निचले हिस्से मे जमने लगता है. करीब 8 घंटे बाद calcium, muscle के प्रोटीन के साथ combine होने लगता है. करीब दूसरे या तीसरे दिन बाद हमारे शरीर के bactria हमारे cells को खाने लगते है. यह प्रक्रिया काफ़ी लम्बे समय तक चलती है ओर अंत मे हमारे शरीर के हड्डियों को भी पेड़ पौधे absorbe कर लेते है