- जन्म – 460 ईसा पूर्व
- जन्म स्थान – कांस द्वीप, यूनान
- निधन – 390 ईसा पूर्व
हिपोक्रेटिस को आधुनिक चिकित्सा का जनक कहा जाता है. इन्होने रोग परीक्षण, निदान और उपचार की जिन पद्धतियों का उपयोग किया.
उसी पर आधुनिक चिकित्सा सास्त्र की नीव रखी गयी. डॉक्टर की पढ़ाई पूरी होने के बाद आज भी जो शपथ लिए जाती है. उसे हिपोक्रेटिस ओथ( Hippocrates oaths )के नाम से जाना जाता है
हिपोक्रेटिस का जन्म -Hippocrates Biography in Hindi
अनेक प्राचीन ग्रीक किताबो से हम जो जान पाए है. उसके अनुसार ईसा 460 वर्ष पहले यूनान मे कॉस द्वीप मे हिपोक्रेटिस का जन्म हुआ था. हिपोक्रेटिसके पिता मंदिर के पुरोहित थे.
प्रसिद्ध यूनानी philosopher प्लेटो ने हिपोक्रेटिस की चर्चा की है. प्लेटो का कहना है की हिपोक्रेटिसने दूर दूर तक भ्रमण किया. जहाँ भी वह गए उन्होंने चिकित्सा शास्त्र की शिक्षा दी. हिपोक्रेटिस के समय तक रोगों का निदान और उपचार एस्क्यूलेपियस के पुरोहितो के हाथों मे था. एस्क्यूलेपियस ग्रीक और रोमन आरोग्य देवता था. पुराणों से यह माना जाता है की एस्क्यूलेपियसएक सिद्ध हस्त चिकित्सक था. और उसमे मृतकों को जीवित कर देने की क्षमता थी.
देवता की अप्रसन्नता
उन दिनों बीमारी को देवता की अप्रसन्नता का परिणाम समझा जाता था. अतः रोग से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय था. देवताओं को भेट चढ़ाना. बीमार चल पाते तो एस्क्यूलेपियस के मंदिर तक पैदल जाते थे. और पुरोहितो की मदद से देवताओं के कृपा पात्र बनते थे. बहुत से रोगी ठीक होकर वापस लौटते थे. कभी कभी मंदिर के पुरोहित मरहम या गाढ़ा दे देते थे. सच कहे तो इस इलाज का उन लोगो के अच्छे होने से कोई सम्बन्ध नहीं था.
यह समझ लेना कठिन नहीं है. की लोग हिपोक्रेटिस को संदेह की दृष्टि से देखते होंगे. क्युकी उन्होंने उस विश्वास को समाप्त कर दिया था. की देवताओं मे मनुष्य को निरोग करने की सक्ति होती है. फिर भी वह इतना चतुर तो थे ही की देवताओं के प्रति लोगो की इस आस्था का पूरी तरह विरोध न करे. पहले हिपोक्रेटिस की शपथ इस तरह थी – “मै चिकित्सक अपोलो, एस्क्यूलेपियस, आरोग्य संजीवनी और सभी देवी देवताओं के नाम पर शपथ लेता हूँ. “
रोग और अंध्विश्वास विजय पाने की उन्होंने पूरी कोशिश की. सारे सभ्य संसार मे हिपोक्रेटिस (Hippocrates Biography in Hindi )की योग्यता का झंडा फहराया.
हिपोक्रेटिस के समय रोग का उपचार -father of surgery
हिपोक्रेटिस की शपथ के मे डॉक्टर और सर्जन दोनों का काम अलग कर दिया गया है. जैसे – मै चाकू नहीं चलाउंगा. यह काम विशेषज्ञ को सोपुंगा. ” हिपोक्रेटिस के मतानुसार सर्जन का पद डॉक्टर से ऊंचा होता है. जैसा की हम आज भी मानते है हिपोक्रेटिस आधुनिक चिकित्सा के जनक है. उनकी शिक्षा यही थी की चिकित्सक रोगी को ध्यानपूर्वक देखे. उसका परीक्षण करें. और रोग के लक्षण को लिख डाले.
इस तरह वह एक ऐसा लेख तैयार कर सकता है. जिसके आधार पर यह निश्चित किया जा सके की रोगी का इलाज किस ढंग से करे की वह ढीक हो जाये.
रोगियों की परीक्षा के लिए उन्होंने कुछ समान्य नियम बताये – रोगियों की आँखों की त्वचा का रंग कैसा है. शरीर का ताप कितना है. भूख लगती है या नहीं पेशाब और पैखाना नियमित होता है या नहीं. यह सभी परीक्षण के नियम आज भी डॉक्टर के द्वारा use किया जाते है.
हिपोक्रेटिस के अनुभव आधुनिक थे. जैसे आमतोर पर दुबले पतले आदमी खुराक को घटा सकते है. लेकिन उनमे चर्बी का अंश कम नहीं होना चाहिए. तथा मोटे आदमी खुराक को बढ़ा सकते है. लेकिन उनमे चर्बी का अंश कम होना चाहिए. चिंता थकावट और सर्दी के कारण वाली शारीरिक बीमारियों को पानी और शराब की बराबर मात्रा लेने से दूर किया जा सकता है.
हिपोक्रेटिस के अनुसार ज्योतिषविज्ञान और चिकत्साविज्ञान मे संबंध -Hippocrates Biography in Hindi
हिपोक्रेटिस रोगी के संबंध मे दैनिक विवरण तैयार करते थे. और ऐसा करने के लिए जोर भी देते थे. वह रोगी की प्रगति से सम्बन्धित एक चार्ट भी बनाते थे. उन्हें इस बात का ज्ञान था की जलवायु और रितु परिवर्तन का बिभिन्न रोगों पर क्या असर होता है. जैसे -झुकाम हमें सर्दियों मे अधिक होता है. इसी तथ्य को ध्यान देते हुए. हिपोक्रेटिस को एक अन्य बात सूझी की ज्योतिषविज्ञान और चिकत्साविज्ञान मे कुछ न कुछ गूढ सम्बन्ध अवश्य होना चाहिए.
इस सूझ का परिणाम यह हुआ की आयुर्वेद के वैज्ञानिक सदियों तक बिना किसी उपयुक्त कारण के ज्योतिषविज्ञान का अध्ययन करते रहे. वो चिकित्सक की समाजिक मर्यादा और समान्य जनता की आस्था पर बहुत जोर देते थे. की वो रोगियों को यह बताने मे कभी भी न हिचकीचाये की बिमारी कब तक चलेगी. क्युकी उनकी यह भविष्यवाणी सही निकली तो लोग उनपर अधिक विश्वास करेंगे. और उपचार के लिए अपने आप को निःसंकोच सोप देंगे.
Hello दोस्तो उम्मीद करता हूँ. Hippocrates Biography in Hindi पढ़कर आपने कुछ नया जरूर सीखा होगा. यह आर्टिकल पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद.
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