मनोविज्ञान मानव व्यवहार, मानसिक प्रक्रियाओं और संज्ञानात्मक क्षमताओं का वैज्ञानिक अध्ययन है। मनोवैज्ञानिक अध्ययन करते हैं कि लोग कैसे सोचते हैं और कार्य करते हैं। वे यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि लोग जो करते हैं वह क्यों करते हैं। वे यह भी जानना चाहते हैं कि मस्तिष्क कैसे काम करता है और लोग जीवन भर कैसे विकसित होते हैं।
मनोवैज्ञानिक इन सवालों के जवाब देने के लिए कई अलग-अलग शोध विधियों का उपयोग करते हैं। वे प्रयोग डिजाइन कर सकते हैं, लोगों का साक्षात्कार कर सकते हैं या अपने प्राकृतिक वातावरण में उनका अवलोकन कर सकते हैं।
मनोविज्ञान क्या है(What is psychology)
मनोविज्ञान मानव मन और व्यवहार का अध्ययन है। यह एक सामाजिक विज्ञान है जिसमें लोगों के विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को समझना शामिल है ताकि उन्हें अधिक उत्पादक और पूर्ण जीवन जीने में मदद मिल सके।
मनोविज्ञान को दो प्रमुख शाखाओं में विभाजित किया जा सकता है:
– जैविक मनोविज्ञान या मनोविज्ञान व्यवहार और मानसिक प्रक्रियाओं के शारीरिक या तंत्रिका संबंधी पहलुओं से संबंधित है।
– सामाजिक मनोविज्ञान या समाजशास्त्र व्यक्तिगत व्यवहार पर समाज के प्रभावों से संबंधित है।
क्या है यह क्षेत्र
मानव मन और व्यवहार का अध्ययन करने वाला यह विषय काफी बहुआयामी है और शारीरिक स्वास्थ्य की तरह सबके लिए अहम भी । एक छात्र मनोविज्ञान की डिग्री के दौरान क्लिनिकल, शैक्षिक, रिसर्च, व्यावसायिक, काउंसलिंग, न्यूरो, खेल, व्यायाम और फोरेंसिक जैसे मनोविज्ञान के विशिष्ट क्षेत्रों में विशेषज्ञता का चयन कर सकता है। चूंकि यह विषय हमारे जीवन के हरेक क्षेत्र को छूता है, इसीलिए संभावनाओंके लिहाज से भी यह क्षेत्र बहुत विस्तृत है।
कोर्स और आवश्यक योग्यता
लगभग सभी बड़े विश्वविद्यालयों में साइकोलॉजी से सम्बंधित कोर्स उपलब्ध हैं। कुछ कॉलेज साइकोलॉजी में बीएससी करा रहे हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के बीते वर्ष के आंकड़ों के अनुसार, 11 कॉलेज साइकोलॉजी में बीए ऑनर्स का कोर्स करा रहे हैं। वहीं पटना विश्वविद्यालय में साइकोलॉजी में बीए ऑनर्स में 400 के
साइकाएट्रिस्ट के लिए राहें: इसके लिए मेडिकल की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद एमबीबीएस पूरा करना होगा। उसके बाद साइकाएट्री में एमडी प्रोग्राम या ‘डिप्लोमा इन साइकाएट्रिक मेडिसिन’ प्रोग्राम करना होगा। साइकाएट्रिस्ट मनोवैज्ञानिक समस्याओं के लिए थेरेपी, टेस्टिंग आदि के साथ ही दवाओं का उपयोग भी करते हैं। साइकोलॉजिस्ट बनने की राह: इसके लिए साइकोलॉजी में बैचलर और मास्टर कोर्स करने होंगे। मास्टर डिग्री के बाद आप स्पेशलाइजेशन या पीएचडी का विकल्प चुन सकते हैं। कॉमर्स या बीटेक के बाद भी साइकोलॉजी में करियर बनाया जा सकता है। इसके लिए आप बस साइकोलॉजी में एमए कर लें।
काउंसलर की राह :
काउंसलर बनने के लिए आपके पास किसी भी क्षेत्र में स्नातक की डिग्री और एक काउंसलिंग कोर्स का सर्टिफिकेट होना चाहिए। इसके बाद ही आप भारत में परामर्शदाता या काउंसलर के रूप में प्रैक्टिस कर सकते हैं। काउंसलिंग के – आप काउंसलिंग कर सकते हैं रिलेशनशिप, जैसे चाइल्ड एडिक्शन काउंसलिंग, काउंसलिंग आदि। काउंसलर और साइकोलॉजिस्ट में अंतर : काउंसलर एक परामर्शदाता के रूप में ही क्लाइंट की मदद कर सकता है। वह साइकोलॉजिकल टेस्टिंग या एक साइकोलॉजिस्ट के तौर पर प्रैक्टिस नहीं कर काउंसलिंग की प्रैक्टिस मान्य नहीं होती। कम से कम 6 माह या एक साल की इंटर्नशिप और सर्टिफिकेट कोर्स करना ही होगा। ऑफलाइन कोर्स : साइकोलॉजी का रेगुलर कोर्स करना ही ज्यादा फायदेमंद है। इसमें व्यावहारिक तौर पर सीखने को मिलता है।
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
■ जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली ■ जीसस एंड मैरी कॉलेज, दिल्ली दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली ■ एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोलॉजी एंड अलॉइड साइंसेस, नोएडा ■ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ • लॉरेटो कॉलेज, कोलकाता
■ बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
■ मद्रास स्कूल ऑफ सोशल वर्क, मद्रास
■ पटना यूनिवर्सिटी, पटना, बिहार
प्रमुख कोर्स
• बीए बीए ऑनर्स इन साइकोलॉजी एमए/एमएससी इन साइकोलॉजी ■ पीजी डिप्लोमा इन साइकोलॉजी सर्टिफिकेट कोर्स फॉर काउंसलिंग
क्या हैं चुनौतियां
मरीज के प्रति पूर्वाग्रह रहित होकर काम करना होता है। काउंसलिंग के लंबे घंटे शारीरिक रूप से थकाने वाले हो सकते हैं। स्वयं के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना होता है। संवेदनशीलता, मरीज से भावनात्मक जुड़ाव से अलग रहते हुए उसका इलाज करना एक चुनौती होती है। सहानुभूति, संवेदनशीलता, धैर्य, अच्छी संवाद क्षमता जैसे गुण जरूरी हैं।
रोजगार के अवसर
क्लीनिकल साइकोलॉजी, चाइल्ड साइकोलॉजी, डेवलपमेंट साइकोलॉजी, फैमिली थेरेपिस्ट, सोशल साइकोलॉजी, फोरेंसिक साइकोलॉजी, कंज्यूमर साइकोलॉजी में ज्यादा मांग देखी जा रही है। अस्पतालों में बतौर साइकोलॉजी पेशेवर, यूनिवर्सिटी, कॉलेज, स्कूल आदि में काउंसलर एवं नैदानिक मनोवैज्ञानिक के तौर पर काम मिलता है। रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन, कॉरपोरेट हाउस में साइकोलॉजिस्ट की अच्छी मांग है। स्पोर्ट्स संगठनों में भी नियुक्तियां होती हैं । साइकोलॉजी के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे- सोशल साइकोलॉजी, क्लीनिकल साइकोलॉजी में स्पेशलाइजेशन कर कई मौके पा सकते हैं। आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भी मौके हैं।
क्या होगी आय
शुरुआत में 20 से 25 हजार रुपये प्रतिमाह तक आसानी से मिल जाते हैं। अनुभव और साख बन जाने पर 70 हजार रुपये से ज्यादा सैलरी पा सकते है