दोस्तों आपने घर्षण बल का नाम जरूर सुना होगा। और आप जानते होंगे कि घर्षण बल कैसे गति का विरोध करता है। क्या आपको पता है द्रव के अणुओं के बीच में भी घर्षण बल लगता है। जिसे हम श्यानता (Viscosity in hindi) के नाम से जानते हैं। वैसे यह श्यानता (Viscosity) होता क्या है और यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है। आज के इस आर्टिकल में इसी विषय को जानेगे।
श्यानता किसे कहते है (Viscosity in hindi)
श्यानता की परिभाषा (Viscosity)-द्रव का वह गुण, जिसके कारण द्रव की विभिन्न परतों के बीच आपेक्षिक गति का विरोध होता है, श्यानता कहलाता है।
श्यानता तरल के अणुओं के बीच घर्षण के कारण उत्पन्न होती है। यह गुण केवल द्रवों तथा गैसों में उत्पन्न होता है। अणुओं के बीच लगने वाले संसंजक बलों के कारण द्रवों में श्यानता होती है जबकि गैसों में श्यानता इसकी एक परत से दूसरी परत में अणुओं के स्थानान्तरण के कारण होती है। द्रवों की तुलना में गैसों में श्यानता बहुत कम होती है।
श्यान बल किसे कहते है (Viseous Force in hindi)
श्यान बल की परिभाषा(Viseous Foree) —किसी द्रव या गैस की एक परत के दूसरी परत पर फिसलने से उनके बीच एक बल लगता है, जो उनकी आपेक्षिक गति का विरोध करता है। यह बल एक ही द्रव या गैस की दो विभिन्न परतों के बीच लगता है, न कि अलग-अलग पदार्थों की सतहों के बीच लगता है। अतः इस बल को आंतरिक घर्षण-बल अथवा श्यान-बल कहते हैं।
•किसी द्रव या गैस की दो क्रमागत परतों के बीच उनकी आपेक्षिक गति का विरोध करने वाले घर्षण बल को श्यान-बल कहते हैं।”
•श्यान बल F = nA(dv/dx), जहाँ n = श्यानता गुणांक, A = पृष्ठीय क्षेत्रफल, dv/dx वेग-प्रवणता है।
श्यानता गुणांक (Coefficient of Viscosity in hindi)–
श्यानता गुणांक उस श्यान बल के बराबर है जो एकांक क्षेत्रफल की दो परतों के बीच तब उत्पन्न होता है, जब उनके बीच वेग-प्रवणता एकांक हो।
मात्रक (Unit) — श्यानता गुणांक का SI पद्धति में मात्रक किलोग्राम/मी/से (kg/m/s) या न्यूटन सेकंडमीटर-(Ns/m^2) होता या पास्कल सेकंड (Pas) हैं।
स्टॉक का नियम क्या है (Stoke’s Law in hini)-
स्टॉक का नियम की परिभाषा (Stoke’s Law)- जब कोई गोलीय वस्तु किसी तरल में स्वतंत्रतापूर्वक गिराई जाती है तो उस पर श्यान बल F=6πaηv कार्य करता है, इस नियम को स्टॉक का नियम कहते हैं।
•धारारेखीय प्रवाह (Streamline Flow) — द्रव के प्रवाह में यदि सभी बिंदुओं पर वेग एकसमान हो, तो इस प्रकार के प्रवाह को धारारेखीय प्रवाह कहते हैं।
•विक्षुब्ध प्रवाह (Turbulent Flow) — द्रव के प्रवाह में यदि सभी बिंदुओं पर वेग का मान अनियमित ढंग से बदलता है, तो इस प्रकार के प्रवाह को विक्षुब्ध प्रवाह
कहते हैं।
•क्रांतिक वेग (Critical Velocity)-धारारेखीय प्रवाह की वह उच्च सीमा, जिसके पश्चात् द्रव का प्रवाह धारारेखीय न होकर विक्षुब्ध हो जाता है, क्रांतिक वेग कहलाता है।
• सीमांत वेग (Terminal Velocity)-जब कोई वस्तु किसी श्यान द्रव में गिरती है, तो पहले उसका वेग बढ़ता जाता है, परन्तु कुछ समय के बाद वह नियत वेग से गिरने लगती है। इस वेग को ही वस्तु का सीमान्त वेग कहते हैं।
बरनौली का प्रमेय क्या है (Bernoulli’s Theorem in hindi)—
बरनौली का प्रमेय की परिभाषा-जब कोई आदर्श द्रव अथवा गैस एक स्थान से दूसरे स्थान तक धारा रेखी प्रवाह में बहता है तो उसके मार्ग के प्रत्येक बिन्दु पर उसके एकाँक आयतन की कुल ऊर्जा अर्थात् दाब ऊर्जा, गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग नियत रहता है।
यदि द्रव के एकाँक आयतन की दाब ऊर्जा P,द्रव का घनत्व ρ तथा वेग u है और द्रव का प्रवाह क्षैतिज तल में होता है, तो बरनौली के प्रमेय के अनुसार-
•P+1/2(ρu^2)= नियतांक
बरनौली के सूत्र से स्पष्ट है कि जिस स्थान पर द्रव का वेग कम होता है वहाँ दाब अधिक होता है तथा जिस स्थान पर वेग अधिक होता है वहाँ दाब कम(Viscosity in hindi) होता है।
बरनौली प्रमेय का उपयोग-( Uses of Bernoulli’s Theorem in hindi)—
बरनौली प्रमेय का उपयोग वायुयान के पंखों को बनाने में किया जाता है। पंखों की आकृति इस प्रकार रखी जाती है कि उनकी ऊपरी सतह की वक्रता, निचली सतह की वक्रता से अधिक.हो तथा सामने का किनारा गोल एवं पीछे का चपटा हो। चूंकि पंख के ऊपर व नीचे वाय् दा प्रवाह धारा रेखीय होता है।
इस कारण पंख पर सामने से टकराने वाली वायु को पंख के ऊपर से गुजरने पर नीचे की अपेक्षा अधिक मार्ग तय करना पड़ता परिणामस्वरूप पंख के ऊपर से गुजरने वाली वायु का वेग नीचे से गुजरने वाली वायु के वेग से अधिक होगा।
इसका प्रभाव बरनौली प्रमेय के आधार पर यह होगा कि पंख के ऊपर वायुदाब नीचे की अपेक्षा कम हो जायेगा तथा इसी दाबान्तर के कारण जहाज को ऊपर उठने हेतु आवश्यक उत्थापक बल (Viscosity in hindi)मिलेगा।
बरनौली के प्रमेय के दैनिक जीवन में कई उदाहरण देखने को मिलते हैं जैसे जब आँधी आती है तो घरों के छप्पर व टीन उड़ जाते हैं इसका कारण है कि जब हवा टीन के ऊपर बहुत अधिक वेग से बहती है तो टीन के ऊपर वायुदाब बहुत कम रह जाता है, जबकि टीन के नीचे का दाब पहले जैसा रहता है।
इस दाबान्तर के कारण ही टीन व छप्पर आँधी में उड़ जाते हैं। फुहारे के ऊपर गेंद नाचती हैं, जिसका कारण है कि जब जल की धारा तेजी से निकलती है तो उसके आसपास वायुदाब घट जाता है।
जब कि बाहर का वायुदाब वही बना रहता है अत: जब भी गेंद बाहर निकलने की कोशिश करती है, बाहर का अधिक दाब उसे पुनः अन्दर की ओर कम दाब वाले क्षेत्र की ओर ढकेल देता है, जिससे गेंद फुहारे के ऊपर नाचती रहती है।
इसी प्रकार यदि हम प्लेटफार्म पर खड़े हों तो, तेजी से रेलगाड़ी आने पर हमारे गाड़ी की ओर गिर जाने का खतरा रहता है क्योंकि जब रेलगाड़ी अधिक वेगू से आती है तो हमारे व.रेलगाड़ी के बीच दाब कम हो जाता है, परन्तु हमारे पीछे की वायु जो अधिक दाब पर है, वो हमें गाड़ी की ओर धक्का देती है।
इसी प्रकार समुद्र में एक ही दिशा में समान्तर गति करते हुये दो जलयानों के परस्पर टकरा जाने की सम्भावना रहती है क्योंकि जलयानों के परस्पर चलने से उनके बीच के स्थान का जल,यानों के सापेक्ष पीछे की ओर गति करता है ।
जब जलयान पास आते हैं तो उनके मध्य संकरे स्थान में जल की चाल अधिक हो जाती है, फलस्वरूप बरनौली के सिद्धान्त (Viscosity in hindi)के अनुसार जलयानों के बीच दाब कम हो जाता है, परन्तु जलयानों के बाहर का दाब वही रहता है। इस दाबान्तर के कारण जलयान आपस में टकरा जाते हैं।
यह article “श्यानता किसे कहते है, श्यानता की परिभाषा क्या है (Viscosity in hindi) ” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।