ग्रहण एक ऐसा नाम है जिसको हम बचपन से ही सुनते आ रहे है। यहाँ तक की हमारे Culture मे ग्रहण का बड़ा ही विशेष महत्व है। आज भी लोग ग्रहण को किस्मत से जोड़ कर देखते है। और ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलते है। दोस्तों आज के इस आर्टिकल मे हम जानेगे, ग्रहण क्या होता है। और कैसे लगता है। इसके पीछे का विज्ञान क्या है।
ग्रहणों का होना प्रकाश-किरणों के ऋजुरेखीय संचरण (rectilinear propagation) पर आधारित है। ग्रहण दो प्रकार के होते हैं-
सूर्यग्रहण तथा चन्द्रग्रहण। सूर्य प्रदीप्त (luminous) तथा पृथ्वी एवं चन्द्रमा अदीप्त (non-luminous) पिंड होते हैं। रात्रि के समय स्वच्छ आकाश में चन्द्रमा, सूर्य से आने वाले उस प्रकाश से दिखाई पड़ता है, जो उसके तल से प्रकीर्णित (scattered) हो जाता है।
इसके अतिरिक्त चन्द्रमा पृथ्वी की चारों ओर घूम रहा है तथा पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूम रही है।
सूर्यग्रहण क्या है(Solar Eclipse in hindi)
सूर्यग्रहण (Solar Eclipse)- चन्द्रमा एक अदीप्त पिंड है। सूर्य और पृथ्वी के बीच में जब चन्द्रमा आ जाता है, तब चन्द्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ने लगती है।
पृथ्वी के कुछ भाग में सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँचता है। अतः पृथ्वी के इस भाग में रहने वाले लोग सूर्य को नहीं देख पाते। इस प्रकार पृथ्वी के कुछ भाग में सूर्यग्रहण’ लग जाता
है।
चित्रों से स्पष्ट है कि पृथ्वी के कुछ भाग चन्द्रमा की छाया (shadow) के प्रच्छाया में तथा कुछ भाग उपच्छाया में स्थित हैं।
चित्र मे एक ऐसी स्थिति दिखाई गई है, जिसमें सीमांत किरणें पृथ्वी पर पहुँचने से पहले ही परस्पर एक-दूसरे को काटती हैं तथा पृथ्वी तक प्रच्छाया शंकु रूप में नहीं पहुँच पाता। इस स्थिति में वलयाकार ग्रहण (annular eclipse) दिखाई पड़ता है।
चन्द्रग्रहण क्या है (Lunar Eclipse)
चन्द्रग्रहण (Lunar Eclipse) -चन्द्रमा स्वयं अदीप्त है। वह अपने ऊपर सूर्य का प्रकाश पड़ने के कारण चमकता है। जब कभी पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा के बीच में आ जाती है, तब चन्द्रमा पृथ्वी की छाया में पड़ जाता है अर्थात् दिखाई नहीं देता। यही चन्द्रग्रहण है।
•प्रकाश् का विवर्तन (Diffraction of Light) -प्रकाश जब किसी अवरोध जैसे ब्लेड के किनारों पर से गुजरता है तो वह थोड़ा-सा मुड़ जाता है। इस घटना को
प्रकाश का विवर्तन कहते हैं।
•प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of Light) -जब प्रकाश वायु जैसे माध्यम से गुजरता है तो उसमें विद्यमान धूल आदि के कणों द्वारा प्रकाश का कुछ भाग सभी दिशाओं में फैल जाता है। प्रकाश के सभी दिशाओं में फैल जाने की प्रक्रिया को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते है
यह article “ग्रहण किसे कहते है, सूर्य ग्रहण(Solar Eclipse in hindi), चंद्र ग्रहण(Lunar Eclipse in hindi) की परिभाषा क्या है। ” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।