हेलो दोस्तों नमस्कार आज इस आर्टिकल में हम जानेगे। SEBI क्या है, SEBI ka full form kya होता है। SEBI का इस्तेमाल कब किया जाता है। इस आर्टिकल के अंत तक आपको SEBI से जुड़ी बेसिक जानकारी मिल जाएगी।
SEBI का फुल फॉर्म-Securities and Exchange Board of India
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI)
SEBI क्या है, SEBI की स्थापना कब हुई
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्थापना 12 अप्रैल, 1988 ई० को आर्थिक उदारीकरण की नीति के अन्तर्गत पूँजी बाजार में निवेशकों की रुचि बढ़ाने तथा उनके हितों की रक्षा के उद्देश्य से की गई थी। 30 जनवरी, 1992 को एक अध्यादेश के द्वारा इसे वैधानिक दर्जा भी प्रदान कर दिया गया है।
SEBI अधिनियम को संशोधित कर 30 जनवरी, 1992 को SEBIको म्यूचुअल फंडों एवं स्टॉक मार्केट के नियंत्रण के अधिकार दिए गए। SEBI के अध्यक्ष पद पर सामान्यतः कार्यकाल तीन वर्ष का होता है, किन्तु अधिकतम 65 वर्ष की आयु तक ही कोई व्यक्ति इस पद पर रह सकता है
SEBI का प्रबन्ध 6 सदस्यों द्वारा किया जाता है, जिनमें एक चैयरमैन होता है जो केन्द्र सरकार द्वारा नामित होता है। 1988 में SEBIकी प्रारम्भिक पूँजी 7.5 करोड़ रुपए थी जो कि प्रवर्तक कम्पनियों (IDBI,ICICI तथा IFCI) द्वारा दी गई थी। इसी राशि के ब्याज की आय से SEBI के दिन-प्रतिदिन के कार्य सम्पन्न होते हैं।
भारतीय पूँजी बाजार को विनियमित करने की वैधानिक शक्तियाँ अब SEBI को ही प्राप्त है। नए प्रावधानों के अनुसार अब किसी भी शेयर बाजार (Stock Exchange) को मान्यता प्रदान करने का अधिकार SEBI को है। शेयर बाजार के किसी सदस्य के किसी बैठक में मताधिकार के संबंध में नियम बनाने तथा उसे संशोधित करने का भी अधिकार SEBI को ही है।
SEBI(संशोधन) विधेयक 2002 के तहत् ‘इनसाइडर ट्रेडिंग’ के लिए 25 करोड़ रुपए तक जुर्माना सेबी द्वारा किया जा सकता है। इसी विधेयक में लघु निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामलों एक लाख रुपए प्रतिदिन की दर से एक करोड़ रुपए जुर्माना आरोपित करने का प्रावधान किया गया है।