DMCA.com Protection Status

दिमित्रि मैंडेलीव की जीवनी-Dmitri Mendeleev biography in hindi

  • जन्म-1 फरवरी, 1834
  • जन्म स्थान-साइबेरिया, रूस
  • निधन-1907 ई.

मैंडेलीव ने गुण-धर्म के आधार पर तत्वों को सूचीबद्ध करके विज्ञान जगत | को एक महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इस तालिका में तत्त्व की स्थिति उसके गुणों की परिचायक थी।

दिमित्रि मैंडेलीव का जन्म-Dmitri Mendeleev biography in hindi

दिमित्रि मैंडेलीव का जन्म, पूर्वी साइबेरिया के एक वीरान इलाके तोबोल्स्क में । फरवरी, 1834 में हुआ था। वे एक स्थानीय हाईस्कूल के डायरेक्टर की सत्रहवीं तथा कनिष्ठ संतान थे। मैंडेलीव के दादा ने यहां आकर सबसे पहला प्रिंटिंग प्रेस चालू किया था और उसके बाद, साइबेरिया भर में सबसे पहला अखबार चलाया था।

उनकी मां अपने युग की एक मानी हुई सुंदरी थीं और उनके परिवार ने ही साइबेरिया में पहली-पहली शीशे की फैक्टरी चालू की थी।

किंतु दुर्भाग्यवश दिमित्रि(Dmitri mendeleev)के पैदा होने के कुछ ही दिन बाद पिता अंथे हो गए और उनकी नौकरी जाती रही। मां ने अपने मायके की वह बंद चली आ रही शीशे की फैक्टरी फिर से खोल दी कि घर का गुजर कुछ तो चल सके।

तोबोल्स्क एक ऐसा केंद्र था जहां पर रूस के राजनीतिक बंदियों को लाया जाता था और दिमित्रि(dmitri mendeleev biography) की एक बहिन ने, कभी दिसम्बर, 1825 की क्रांति के किसी ऐसे ही कैदी से शादी की थी। यह देश-निर्वासित पढ़ा-लिखा बंदी ही था जिसने दिमित्रि को ‘प्रकृति-विज्ञान’ में प्रथम दीक्षा दी थी। फैक्टरी में आग लगने के बाद दिमित्रि का परिवार मास्को आ बसा।

Join

उस वक्त दिमित्रि की आयु 17 वर्ष थी। उन्हें सिर्फ साइबेरिया की भाषा ही आती थी। विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं मिल सका । किंतु उनकी मां एक पक्के इरादे की महिला थीं। वे पीटर्सबर्ग चल दीं, जहां रूसी भाषा सीख कर बच्चा एक ऐसे स्कूल में दाखिल हो गया जहां हाईस्कूल के लिए टीचर्स तैयार किए जाते थे।

Read More  सर सी.वी. रमन की जीवनी हिंदी-C. V. Raman biography in hindi

यहां उसके विशेष विषय थे—गणिति, भौतिकी, तथा रसायन । साहित्य और विदेशी भाषाओं में मैंडेलीव की तनिक भी रुचि नहीं थी। फिर भी, स्नातक परीक्षा में वह अपनी श्रेणी में प्रथम ही रहा था।

मैंडेलीव ने सेहत कोई बहुत अच्छी नहीं पाई थी—फेफड़ों में हमेशा कुछ न कुछ तकलीफ रहती, ऊपर से मां की मौत ने उनके हौसले को बिलकुल पस्त कर दिए।

डॉक्टरों ने फतवा दे दिया कि छह महीने से ज्यादा नहीं जी सकता, सो, वह उठकर क्रीमिआ के कुछ गरम मौसम में आ गया और, वहां भी, एक स्कूल में विज्ञान पढ़ाने के लिए उसे एक नौकरी मिल गई।

तभी क्रीमिआ की लड़ाई छिड़ गई और वह वहां से पहले ओडेस्सा, और फिर सेंट पीटर्सबर्ग आ गया। विश्वविद्यालय ने ही खुद उसे अनुमति दे दी कि एक प्राइवेट-डोसेंट की तरह घर में विद्यार्थियों को पढ़ा सकता है और उनकी आई फीस का कुछ मुकर्रर हिस्सा अपने लिए रख सकता है।

पीरियाडिक टेबल का अविष्कार-dmitri mendeleev contribution to the periodic table

रूस में उन दिनों विज्ञान में उच्चतर अध्ययन के लिए उपयुक्त व्यवस्था कोई थी नहीं, उन्होंने सरकार से फ्रांस और जर्मनी जाकर अनुसंधान कार्य करने की इजाजत ले ली।

पेरिस में वे एक रसायन-परीक्षणकर्ता हेनरी रैनो के सहकारी थे, तो हाइडलबर्ग में आकर उन्होंने अपनी ही एक छोटी-सी परीक्षणशाला खोल ली। वहां उन्हें प्रसिद्ध ‘बर्नर’ के आविष्कर्ता बंसेन के सम्पर्क में आने तथा उसके साथ मिलकर काम करने का अवसर मिला, और गुस्ताफ किर्चहाफ के साथ भी।

तीनों मिलकर स्पेक्ट्रोस्कोप ईजाद करने में जुट गए स्पेक्ट्रोस्कोप–प्रकाश की किरण की आंतरिक रचना जानने के लिए एक उपकरण है, जिसकी उपयोगिता रासायनिक विशेषणों में भी कुछ कम नहीं होती।

Read More  Prmovies 2022: Download Hollywood, Bollywood, Telugu, Tamil, Hindi Dubbed Movies

जर्मनी में पढ़ाई करते हुए मैंडेलीव कार्ल्सरूहे की कांग्रेस में भी शामिल हुए जहां कैनीजारों ने ऍवोगेड्रो के कण-सिद्धांत के हक में अपनी अपील की। कैनीजारों की ऍटॉमिक टेबल का उपयोग कर, आगे चलकर, मैंडेलीव(father of modern periodic table)ने अपनी पीरियॉडिक टेबल ऑफ एलिमेंट्स‘ तैयार करते हुए किया था।

मैंडेलीव(dmitri mendeleev biography)पीटर्सबर्ग लौट आए, और शादी करके बस गए। उन्होंने 60 दिन में ऑर्गेनिक कैमिस्ट्री की एक पाठ्यपुस्तक भी लिख डाली । रसायन में उन्होंने डॉक्टरेट भी प्राप्त कर ली, उनका विषय था— ‘ऑलकोहल तथा जल का परस्पर-मिश्रण’।

1865 में, जब मैंडेलीव अभी 31 वर्ष के ही थे, उनकी वैज्ञानिक प्रतिभा तथा अध्ययन कार्य के सम्मान में पीटर्सबर्ग के अधिकारियों ने उन्हें प्रोफेसरशिप के
पूर्ण अधिकार दे दिए।

1869 तक इसी तरह की कुछ ‘जोड़-तोड़’ की चीजें रसायन में इकट्ठी हो चुकी थीं—-63 तत्त्वों की खोज हो चुकी थी। रासायनिकों को अब इन तत्त्वों में कहीं-कहीं
कुछ समानताएं नजर आने लगी थीं। किंतु वैज्ञानिकों को अभी यह निश्चय नहीं था कि उन तत्त्वों में कुछ परस्पर-क्रमिकता है— उन्हें यह भी मालूम नहीं था कि इस सम्बंध में परीक्षा के लिए किन अंगों की छानबीन होनी चाहिए।

अनेक रसायनशास्त्री इस प्रश्न से जूझ चुके थे, किंतु, जहां सभी असफल रहे, मैंडेलीव ने वहीं कुछ व्यवस्था सिद्ध कर दिखाई । दिमित्रि मैंडेलीव ने इन रासायनिक तत्त्वों को उनके अणु-भारों के क्रम में रखकर विश्व को एक तत्त्वानुक्रमणी—’पीरियाडिक टेबल ऑफ एलिमेंट्स’— प्रस्तुत कर दी।

मैंडेलीव(Dmitri mendeleev discoveries) ने यह सुनिश्चित किया कि हर सात तत्त्वों के बाद तत्त्व के गुण और प्रकृति आवृत्त होकर आ जाती है। कुछ दिनों बाद सिलिकन, गैलियम, जर्मेनियम, तथा स्कैण्डियम की खोज हो गई, और उनके गुण भी वस्तुतः वही थे जैसा कि मैंडेलीव भविष्यवाणी कर गए थे।

Read More  आधुनिक आवर्त सारणी का आविष्कार कैसे हुआ- Everything about Modern Periodic table in Hindi

दिमित्रि मैंडेलीव की मृत्यु-Dmitri Mendeleev death

मैंडेलीव की ‘टेबल’ की समय-समय पर पुनः परीक्षा हो चुकी है। 21 वें साल में जिसके बारे में चेतावनी दी गई थी कि वह अब छ: महीने से ज्यादा और नहीं निकाल सकता, वही दिमित्रि 73 साल जी गया। आखिर 1907 में, निमोनिया से उसकी मृत्यु हुई।

उसके मरने तक रसायन को 86 तत्त्व मिल चुके
थे—और वे भी मैंडेलीव की ही सारणी की बदौलत कि ‘बीच-बीच में ये फलां तत्त्व होने चाहिए। आज ‘पौरियाडिक टेबल’ पूरी की जा चुकी है—92 के 92 प्राकृतिक तत्त्व अब मिल चुके हैं। इसके अतिरिक्त कई अन्य तत्त्व प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से तैयार किए जा चुके हैं।

मैंडलीव(about dmitri mendeleev) को उसकी इस अद्वितीय सारणी के निर्माण का सम्मान आज के विज्ञान जगत ने अनोखे तरीके से दिया। 101वां तत्त्व जो खोजा गया, उसका नाम रखा गया—मैंडेलीबीयम।

ये article ” दिमित्रि मैंडेलीव की जीवनी-Dmitri Mendeleev biography in hindi ” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया. उम्मीद करता हुँ. कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा

Comments are closed.

DMCA.com Protection Status