ग्रेफाइट (Graphite in hindi) -ग्रेफाइट भी कार्बन का एक अत्यंत उपयोगी अपररूप है।
ग्रेफाइट के गुण :
(i) ग्रेफाइट काला और अपारदर्शी होता है। इसकी संरचना में कार्बन के परमाणु षष्टकोणीय परतों के रूप मेंव्यवस्थित रहते हैं। इन कार्बन परमाणुओं के बीच सहसंयोजी बंधन रहता है। दो आसन्न परतों के बीच का आकर्षण बल कमजोर होता है । अत: ढीली परतदार संरचना के कारण ग्रेफाइट मुलायम होता है। इसी कारण, इसका उपयोग मशीन के पार्ट-पुों में शुष्क स्नेहक के रूप में किया जाता है।
(ii) यह हीरा से हल्का होता है। इसका विशिष्ट गुरुत्व 2.25 है।
(ii) इसमें धातु जैसी चमक होती है।
(iv) यह ऊष्मा और विद्युत का सुचालक होता है। इसी कारण, इसका उपयोग इलेक्ट्रोड बनाने तथा अन्य विद्युत कार्यों में किया जाता है
(v) इसका गलनांक (द्रवणांक) 3700°C है। यह उच्च ताप पर भी स्थायी होता है। इसी कारण इसका उपयोग धातुओं को गलाने के लिए उच्च तापसह क्रुसिबल के निर्माण में किया जाता है।
(vi) यह हीरा की अपेक्षा कम अक्रियाशील होता है। ऑक्सीजन में कसकर गर्म किए जाने पर यह जलकर कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है।
ग्रेफाइट के उपयोग :
(i) ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है। अत:, इसका उपयोग शुष्क सेलों और विद्युत-अपघटन क्रियाओं में इलेक्ट्रोड के रूप में होता है।
(ii) कागज पर रगड़ने से यह उसपर काला निशान बना देता है। इसीलिए इसका उपयोग पेंसिल में तथा काला रंग बनाने में होता है।
(iii) उच्च गलनांक (द्रवणांक) के कारण ग्रेफाइट के क्रुसिबल कुछ धातुओं को गलाने के काम में लाए जाते हैं।
(iv) ग्रेफाइट चूर्ण का उपयोग मशीनों में स्नेहक के रूप में होता है, जहाँ उच्च ताप होने से अन्य स्नेहक अस्थायी होते हैं।
(v)बहुत उच्च दाब पर ग्रेफाइट को उत्प्रेरक की अनुपस्थिति में गर्म करने पर यह हीरे में बदल जाता है।
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