प्रतिध्वनि की परिभाषा (Echo in hindi)-“जब ध्वनि तरंगें दूर स्थित किसी दृढ़ टावर या पहाड़ से टकरा कर परावर्तित होती है तो इस परावर्तित ध्वनि को प्रतिध्वनि कहते है।”
यदि कोई ध्वनि स्रोत किसी परावर्तक तल जैसे पहाड़ आदि से काफी दूरी पर ध्वनि उत्पन्न करता हो तथा दोनों के बीच एक श्रोता स्थित हो, तो श्रोता को दो ध्वनियाँ सुनाई देंगी-पहली ध्वनि जो मूल स्रोत से आती है तथा दूसरी ध्वनि जो परावर्तन तल से परावर्तित होकर आती है।
यदि श्रोता परावर्तक तल के बहुत समीप स्थित है तो उसे प्रतिध्वनि सुनाई नहीं देगी। जब हम कमरे में बोलते हैं तो हमें प्रतिध्वनि(Echo meaning in hindi)सुनाई नहीं देती क्योंकि दोनों ध्वनियाँ एक साथ सुनाई देती है।
जब हमारा कान कोई ध्वनि सुनता है, तो उसका प्रभाव हमारे कान पर 0.1 सेकेण्ड तक रहता है अतः स्पष्ट है कि हमें प्रतिध्वनि यानि परावर्तित ध्वनि तभी सुनाई देगी जब वह हमारे कान में 0.1 सेकेण्ड के पश्चात् पहुँचे। जैसा कि हम जानते हैं कि वायु में ध्वनि एक सेकेण्ड में 332 मीटर की दूरी तय करती है
अत: 0.1 सेकेण्ड में तय की गई दूरी 0.1 x 332 = 33.2 मीटर। अतः स्पष्ट है कि हमको परावर्तित ध्वनि तभी सुनाई देगी, जब परावर्तक तल की श्रोता से दूरी 16.6 मीटर हो या करीब 17 मीटर हो। अतः प्रतिध्वनि सुनने के लिये श्रोता व परावर्तक तक के बीच की दूरी कम से कम 17 मीटर होनी चाहिये। यदि यह दूरी 17 मीटर से कम होगी तो दोनों ध्वनियाँ मिल जायेगी
व हमें प्रतिध्वनि नहीं सुनाई देगी। यदि कोई बहुत बड़ा हॉल, गद्देदार कुर्सियों तथा व्यक्तियों से भरा हो तो भी हमें प्रतिध्वनि सुनाई नहीं देगी क्योंकि इस दशा में ध्वनि गद्देदार कुर्सियों, कुर्सियों की लकड़ी, व्यक्तियों के शरीर व कपड़ों से, आंशिक रूप से शोषित (absorb) हो जाती है और हमें प्रतिध्वनि सुनाई नहीं देती है।
प्रतिध्वनि के हमारे जीवन मे उपयोग- Benefit of Echo in hindi
प्रतिध्वनि के हमारे जीवन में अनेक उपयोग हैं। इसके द्वारा हम समुद्र की गहराई, कुओं की गहराई, अपने से दूर स्थित पहाड़ों की दूरी, वायुयानों की ऊँचाई आदि ज्ञात कर सकते हैं।
इसके लिये यदि ध्वनि उत्पन्न करने व प्रतिध्वनि के सुनने का समयान्तराल (Time interval) t है तथा ध्वनि की वायु में चाल u है, तो श्रोता व परावर्तक तल के बीच की दूरी = ut/2, होंगी
प्रतिध्वनिकी सहायता से हम नदी की चौड़ाई ज्ञात कर सकते हैं। माना हम नदी के एक किनारे पर खड़े है तथा दूसरे किनारे पर एक पहाड़ है। हम ध्वनि उत्पन्न करके पहाड़ से परावर्तित ध्वनि व मूल ध्वनि के बीच समायान्तराल ज्ञात कर लेते हैं तथा Ut/2 नदी की चौड़ाई ज्ञात कर लेते हैं। ऐसा तभी सम्भव है जब नदी की चौड़ाई 17 मीटर से अधिक हो अन्यथा हमें प्रतिध्वनि सुनाई नहीं देगा। सोनार (SONAR) की सहायता से पराश्रव्य तरंगे उत्पन्न करके हम समुद्र की गहराई ज्ञात कर सकते हैं। चन्द्रमा पर प्रतिध्वनि सुनाई नहीं देगी।
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