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अल्फ्रेड नोबेल की प्रेरणादायक जीवनी हिंदी-Biography of Alfred Nobel hindi

  • जन्म-21 अक्टूबर, 1833
  • जन्म स्थान-स्टॉकहोम, स्वीडन
  • निधन-10 दिसम्बर, 1896
  • निधन स्थान-सेनरेमा

अनेक संघर्षों के बाद डायनामाइट जैसे विस्फोटक का आविष्कार करने वाले इस वैज्ञानिक के नाम पर ही आज नोबेल(Nobel prize)पुरस्कार दिया जाता है जो पांच महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में विश्व का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आविष्कार है।

नोबेल प्राइज क्या है-Alfred nobel prize

आज विश्व के पांच विशिष्ट क्षेत्रों-भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, अर्थशास्त्र और शांति में नोबेल पुरस्कार(nobel prize) प्राप्त करना अत्यंत सम्मान की बात समझी जाती है।

विश्व का यह सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रतिवर्ष उन लोगों को प्रदान किया जाता है जो इन क्षेत्रों में अपना सर्वाधिक विशिष्ट योगदान देते हैं। पहले सिर्फ चार क्षेत्रों में ही यह पुरस्कार दिया जाता था। 1968 में इसमें अर्थशास्त्र भी जोड़ दिया गया। जिसके लिए प्रथम पुरस्कार 1968 में प्रदान किया गया।

इस श्रेष्ठतम् पुरस्कार की स्थापना 1901 में महानतम् वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल(alfred nobel)के नाम पर की गई थी। नोबेल पुरस्कार के अंतर्गत इस धनराशि के अतिरिक्त एक स्वर्ण पदक तथा एक सर्टीफिकेट प्रदान किया जाता है।

अल्फ्रेड नोबेल का जन्म-Biography of Alfred Nobel hindi

नोबेल का जन्म स्टॉकहोम (स्वीडन) में हुआ था। इनके पिता इमानुएल नोबेल एक गरीब किसान परिवार के व्यक्ति थे। वे सेना में इंजीनियर के पद पर आसीन थे।

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अपने पिता से उन्होंने इंजीनियरी के मूल सिद्धांतों को समझा। नोबेल(about alfred nobel) की भी अपने पिता की भांति अनुसंधानों में काफी दिलचस्पी थी। अपने दो बड़े भाइयों रॉबर्ट और लुडविग की भांति इनकी आरम्भिक शिक्षा भी घर में ही हुई।

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सन् 1842 में नोबेल का परिवार स्टॉकहोम से पीटर्सबर्ग (लेनिनग्राद) अपने पिता के पास चला गया। बालक नोबेल(alfred nobel biography)एक दक्ष रसायनज्ञ थे और 16 वर्ष की उम्र में ही अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, रूसी और स्वीडिश भाषाओं की उन्हें अच्छी जानकारी थी।

सन् 1850 में उन्होंने रूस छोड़ दिया। इसके बाद एक वर्ष तक उन्होंने पेरिस में रसायन शास्त्र(alfred nobel education)का अध्ययन किया और चार वर्ष तक जॉन इरिक्शन की देख-रेख में.संयुक्त राज्य अमरीका में अध्ययन किया। अध्ययन के पश्चात पीटर्सबर्ग लौटने पर नोबेल ने अपने पिता की फैक्ट्री में कार्य किया।

दुर्भाग्यवश 1859 में इनके पिता की फैक्ट्री का दिवाला निकल गया। इस असफलता के बाद दोनों बाप बेटे स्वीडन वापस आ गए। यहां आकर नोबेल(alfred nobel experiment’s)ने विस्फोटकों पर प्रयोग आरम्भ किए।

डायनामाइट का अविष्कार-Invention of Dynamite

स्टॉकहोम के पास होलेनबर्ग नामक स्थान पर दोनों बाप-बेटे ने अपने अनुसंधानों(alfred nobel inventions) के लिए एक छोटा-सा वर्कशाप स्थापित किया और नाइट्रोग्लिसरिन जैसा विस्फोटक पदार्थ बनाना आरम्भ किया। बड़े दुर्भाग्य की बात थी कि सन् 1864 में इनके वर्कशाप में एक दिन अत्यंत भीषण दुर्घटना घटित हुई।

नाइट्रोग्लिसरिन के विस्फोट के कारण सारा वर्कशाप फट गया और इसी दुर्घटना में इनके छोटे भाई की तथा दूसरे चार व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। इस दुर्घटना के बाद स्वीडन सरकार अत्यधिक नाराज हुई और इन्हें वर्कशाप को पुनः स्थापित करने की आज्ञा नहीं दी गई।

इसके बाद नोबेल को एक पागल वैज्ञानिक करार दे दिया गया। इस घटना के एक महीने बाद नोबेल के पिता को पक्षाघात (Paralysis) हो गया

जिससे वो अपने बाकी जीवन के लिए बेकार हो गए। इससे नोबेल बिल्कुल अकेले हो गए। नोबेल(alfred nobel biography)ने नॉर्वे और जर्मनी में अपनी फैक्ट्री स्थापित करने की योजना बनाई

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परंतु नाइट्रोग्लिसरिन के घातक और विस्फोटक गुणों में वो कोई परिवर्तन न कर पाए। जो दुर्घटना नोबेल(alfred nobel Dynamite invention) की वर्कशाप में घटित हुई थी वो अपने आप में अकेली नहीं थी। जर्मनी में नोबेल की फैक्ट्री खतरनाक विस्फोट से उड़ गई ।

इसके साथ-साथ ऐसे ही कई विस्फोट पनामा का एक समुद्री जहाज में तथा सेंट फ्रांसिस्को, न्यूयॉर्क और आस्ट्रेलिया में हुए।

अंत में कई देशों ने नाइट्रोग्लिसरिन बनाने पर पाबंदी लगा दी। स्वीडन ने इसके वितरण पर और ब्रिटेन ने भी इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी इन सब पाबंदियों से नोबेल को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा।

सन् 1866 में एक घटना घटित हुई। एक दिन नाइट्रोग्लिसरिन एक डिब्बे में से बाहर रिस गई। यह डिब्बा कीसलगुर नामक मिट्टी में पैक था। नोबेल(alfred nobel invention)ने देखा कि इस मिट्टी में अवशोषित हो जाने के बाद नाइट्रोग्लिसरिन को इस्तेमाल करना अधिक सुरक्षात्मक था।

इस दशा में यह विस्फोटक झटके लगने पर भी नहीं फटता था। इस प्रकार नोबेल को नाइट्रोग्लिसरीन हैंडल करने का एक सुरक्षित साधन मिल गया।

इस पदार्थ में अवशोषित होने पर इस विस्फोटक की विस्फोटन शक्ति केवल 25 प्रतिशत कम होती थी। इस सुरक्षित विस्फोटक का नाम नोबेल ने डायनामाइट (Dynamite) रखा।

इसके बाद नोबेल(alfred nobel biography) के अनेक कारखाने विकसित होते गए। नाइट्रोग्लिसरिन के निर्माण से और बिक्री से नोबेल के भाग्य का सितारा बुलंद होता गया। सन् 1887 में उन्होंने बैलिस्टाइट (Ballistite) नामक विस्फोटक पदार्थ खोजा। यह पदार्थ धुंआ रहित नाइट्रोग्लिसरिन का पाउडर था।

इस पाउडर को अनेक देशों ने बारूद के रूप में इस्तेमाल करना आरम्भ कर दिया। नोबेल(alfred nobel discoveries)ने अपने जीवन में विस्फोटकों पर 100 से भी अधिक पेटेंट प्राप्त किए थे। सारी दुनिया में उनके नाम की धूम मच गई। इन विस्फोटकों से उन्होंने अपार धन अर्जित किया।

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अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु-alfred nobel death

सन् 1896 में जब नोबेल की मृत्यु हुई तो उन्होंने 90 लाख डॉलर की धनराशि छोड़ी। मरते समय इन्होंने एक वसीयतनामा लिखा।

इस वसीयतनामे में लिखा गया था कि इस धनराशि को बैंक में जमा कर दिया जाए और इससे प्राप्त होने वाले ब्याज को हर वर्ष भौतिक विज्ञान, रसायनशास्त्र, चिकित्साशास्त्र, साहित्य और शान्ति के क्षेत्रों में विश्व में महत्त्वपूर्ण कार्य करने वाले व्यक्तियों को पुरस्कार के रूप में प्रदान किया जाए।

इसे ही आज हम नोबेल पुरस्कार(nobel prize) के नाम से पुकारते हैं। ये पुरस्कार स्टॉकहोम में नोबेल की पुण्यतिथि पर वितरित किए जाते हैं। नोबेल एकांत प्रिय व्यक्ति थे और वे जीवनभर अविवाहित ही रहे। जीवन के अधिकतर वर्षों में वे रोगग्रस्त रहे ।

विश्व में वो इतने प्रसिद्ध हुए कि 102 वें तत्त्व का नाम उन्हीं के नाम पर नोबेलियम (Nobelium) रखा गया है। स्वीडन में एक बहुत ही प्रसिद्ध संस्थान है जिसका नाम नोबेल इंस्टीट्यूट ऑफ स्वीडन (Nobel Institute of Sweden) रखा गया है। जब तक धरती पर जीवन है तब तक शायद इस वैज्ञानिक को भुलाया न जा सकेगा।

ये article ” अल्फ्रेड नोबेल की प्रेरणादायक जीवनी हिंदी-Biography of Alfred Nobel hindi ” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया. उम्मीद करता हुँ. कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा

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