एक हालिया अध्ययन में पता चला है कि जो किशोर रात में देर तक जागते हैं और सुबह देर से उठते हैं, उनमें अस्थमा और एलर्जी (एलर्जी अस्थमा )की समस्या अधिक देखने को मिलती है। यह अध्ययन ईआरजे ओपन रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, रात में जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने वाले किशोरों की तुलना में देर से सोने और जगने वालों में अस्थमा और एलर्जी की समस्या तीन गुना अधिक देखने को मिलती है। शोधकर्ताओं ने कहा, अस्थमा (अस्थमा के लक्षण) के लक्षणों को शरीर की आंतरिक घड़ी से दृढ़ता से जोड़ा जाता है, लेकिन यह पहला अध्ययन है जिसमें
यह देखा गया है कि बच्चों में नींद प्रभावित होने से अस्थमा का खतरा अधिक होता है। अधूरी नींद से श्वसन प्रक्रिया होती है प्रभावितः शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन किशोरों के लिए नींद की महत्ता के बारे में बताता है और यह स्पष्ट करता है कि किस तरह अधूरी नींद से किशोरों की श्वसन प्रक्रिया प्रभावित होती है।
यह अध्ययन कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. सुभब्रत मोइत्रा के नेतृत्व में किया गया। अध्ययन में स्पष्ट हुई ये बात उन्होंने कहा, ‘स्लीप हार्मोन’ मेलाटोनिन अस्थमा को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है, इसलिए हम देखना चाहते थे कि किशोरों के देर से सोने या जल्दी सोने की आदत उनमें अस्थमा (अस्थमा की जांच )के खतरे को बढ़ा सकती है या नहीं। यह अध्ययन 13 या 14 वर्ष की आयु के 1,684 भारतीय किशोरों परकिया गया।
अध्ययन के दौरान प्रत्येक प्रतिभागी से गले में घरघराहट, अस्थमा और नाक बहने व छींकने से एलर्जी जैसी समस्या के लक्षणों के बारे में पूछा गया। साथ ही उनकी नींद की प्राथमिकता के बारे में भी पूछा गया जैसे वे कब सोते और जागते हैं।
शोधकर्ताओं ने किशोरों के लक्षणों को उनकी नींद की प्राथमिकताओं के साथ तुलना की और अन्य कारकों को ध्यान में रखा, जो अस्थमा और एलर्जी को प्रभावित करते हैं। इसमें उन्होंने पाया कि जल्दी सोने वाले किशोरों की तुलना में देर से सोने वाले किशोरों में अस्थमा होने की संभावना तीन गुना अधिक और एलर्जी होने की संभावना
दो गुना अधिक होती है।
अस्थमा कब होता है ?
प्रदूषण और तंबाकू के धुएं से भी होती है समस्या शोधकर्ताओं ने कहा, दुनिया भर में बच्चों और किशोरों में अस्थमा और एलर्जी की बीमारी आम है और इसकी व्यापकता बढ़ रही है। हम इस वृद्धि के कुछ कारणों को जानते हैं, जैसे कि प्रदूषण और तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने से यह समस्याएं उत्पन्न होती हैं। लेकिन हमें अभी भी इन समस्याओं के उत्पन्न होने का सटीक पता लगाने की आवश्यकता है।
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